Class 12 Biology Chapter 7 विकास in Hindi Notes: कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 7: विकास के लिए व्यापक हिंदी नोट्स एक्सेस करें। सरलीकृत स्पष्टीकरण और प्रमुख अवधारणाओं को शामिल किया गया।
Class 12 Biology Chapter 7 विकास in Hindi Notes
जीवविज्ञान विकास: जीवविज्ञान (Biology) प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं। आधुनिक जीव विज्ञान एक बहुत विस्तृत विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएँ हैं।
‘बायलोजी’ (जीवविज्ञान) शब्द का प्रयोग सबसे पहले लैमार्क और ट्रविरेनस(Trivirenus)नाम के वैज्ञानिकों ने (1801) ई० में किया।
जिन वस्तुओं की उत्पत्ति किसी विशेष अकृत्रिम जातीय प्रक्रिया के फलस्वरूप होती है, ‘जीव’ कहलाती हैं। इनका एक परिमित जीवनचक्र होता है। हम सभी जीव हैं। जीवों में कुछ मौलिक प्रक्रियाऐं होती हैं:
(1) पोषण : इसके अन्तर्गत सभी जीव विशेष पदार्थों के अधिग्रहण से अपने लिए यांत्रिक ऊर्जा प्राप्त करतें हैं।
(2) श्वसन : इसमें प्राणी महत्वपूर्ण गैसोँ का परिवहन करता है।
(3) संवेदनशीलता : जीवोँ में वाह्य अनुक्रियाओँ के प्रति संवेदनशीलता पायी जाती है।
(4) प्रजनन : यह जीवोँ में पाया जानें वाला अनोखा एँव अतिमहत्वपूर्ण प्रक्रिया है। प्रजनन से जीव अपने ही तरह की सन्तान उत्पन्न कर सकता है तथा जैविक अस्तित्व को पुष्टता प्रदान करता है।
जीवविज्ञान भांति-भांति के जीवों का अध्ययन करता है।
Animalia – Bos primigenius taurus Planta – Triticum
Fungi – Morchella esculenta Stramenopila/Chromista Bacteria – Gemmatimonas
Archaea – Halobacteria Virus – Gamma phage
आधुनिक जीवविज्ञान के आधार
- कोशिका सिद्धान्त
- क्रम-विकास (evolution)
- अनुवांशिकता
- समस्थापन (Homeostasis)
- ऊर्जा
- कोशिका (Cell)
कोशिका सिद्धान्त
जीवविज्ञान में कोशिका सिद्धान्त वह ऐतिहासिक वैज्ञानिक सिद्धान्त है, जो कि अब सर्वमान्य है, कि सभी जीव कोशिकाओं से बने हैं जो सभी जीवों की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई हैं और ये कोशिकाएँ पूर्वोपस्थित कोशिकाओं से उत्पन्न हुई हैं। सभी जीवों में कोशिकाएँ, जीवों की मौलिक संरचनात्मक एवं प्रजननिक इकाई है।
कोशिका सिद्धान्त के तीन सिद्धान्त निम्नलिखित हैं –
- प्रत्येक जीव एक या एकाधिक कोशिकाओं से बना हुआ है।
- प्रत्येक जीव में कोशिका मौलिक संरचनात्मक एवं सांगठनिक इकाई है।
- कोशिकाओं की उत्पत्ति पूर्वोपस्थित कोशिकाओं से होती है।
जीवन की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। कुछ जैवविज्ञानी अकोशिकीय सत्ताओं (जैसे विषाणुओं) को जीव मानते हैं, तदनुरूप प्रथम सिद्धान्त से असहमति व्यक्त करते हैं।
क्रम-विकास
करते हैं, और लक्षण एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी को दिए जाते हैं।इस प्रकार, पीढ़ी दर पीढ़ी आबादी उन शख़्सों की संतानों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाती है जो उस बाईओफीसिकल क्रम-विकास या एवोल्यूशन (English: Evolution) जैविक आबादी के आनुवंशिक लक्षणों के पीढ़ी दर पीढ़ी परिवर्तन को कहते हैं।क्रम-विकास की प्रक्रियायों के फलस्वरूप जैविक संगठन के हर स्तर (जाति, सजीव या कोशिका) पर विविधता बढ़ती है।उत्परिवर्तन (म्यूटेशन), आनुवंशिक पुनर्संयोजन और आनुवंशिक भिन्नता के अन्य स्रोतों के परिणामस्वरूप किसी भी आबादी के भीतर विभिन्न विशेषताएं मौजूद होती हैं। क्रम-विकास तब होता है जब नेचुरल सेलेक्शन (यौन चयन सहित) और आनुवंशिक च्युति जैसी विकासवादी प्रक्रियाएं इस भिन्नता पर कार्य करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुछ विशेषताएं आबादी के भीतर अधिक सामान्य या दुर्लभ हो जाती हैं।ऐसी परिस्थितियाँ जो यह निर्धारित करती हैं कि किसी आबादी के भीतर कोई विशेषता सामान्य या दुर्लभ होनी चाहिए, लगातार बदलती रहती है, जिसके परिणामस्वरूप क्रमिक पीढ़ियों में उत्पन्न होने वाली आनुवंशिक विशेषताओं में परिवर्तन होता है। यह क्रम-विकास की प्रक्रिया है जिसने प्रजातियों, व्यक्तिगत जीवों और अणुओं के स्तर सहित जैविक संगठन के हर स्तर पर जैव विविधता को जन्म दिया है।
पृथ्वी के सभी जीवों का एक साझा पूर्वज है, जो 3.5– 3.8 अरब वर्ष पूर्व रहता था। इसे अंतिम सार्वजानिक पूर्वज कहते हैं। जीवन के क्रम-विकासिक इतिहास में बार-बार नयी जातियों का बनना (प्रजातिकरण), जातियों के अंतर्गत परिवर्तन (अनागेनेसिस, अंग्रेज़ी: Anagenesis), और जातियों का विलुप्त होना (विलुप्ति) साझे रूपात्मक और जैव रासायनिक लक्षणों (जिसमें डीएनए भी शामिल है) से साबित होता है। जिन जातियों का हाल ही में कोई साझा पूर्वज था, उन जातियों में ये साझे लक्षण ज्यादा समान हैं। मौजूदा जातियों और जीवाश्मों के इन लक्षणों के बीच क्रम-विकासिक रिश्ते (वर्गानुवंशिकी) देख कर हम जीवन का वंश वृक्ष बना सकते हैं। सबसे पुराने बने जीवाश्म जैविक प्रक्रियाओं से बने ग्रेफाइट के हैं,उसके बाद बने जीवाश्म सूक्ष्मजीवी चटाई के हैं,जबकि बहुकोशिकीय जीवों के जीवाश्म बहुत ताजा हैं। इस से हमें पता चलता है कि जीवन सरल से जटिल की तरफ विकसित हुआ है। आज की जैव विविधता को प्रजातिकरण और विलुप्ति, दोनों द्वारा आकार दिया गया है।पृथ्वी पर रही 99 प्रतिशत से अधिक जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं।पृथ्वी पर जातियों की संख्या 1 से 1.5 करोड़ अनुमानित है।इन में से 12 लाख प्रलेखित हैं
19 वीं सदी के मध्य में चार्ल्स डार्विन ने प्राकृतिक वरण द्वारा क्रम-विकास का वैज्ञानिक सिद्धांत दिया।उन्होंने इसे अपनी किताब जीवजाति का उद्भव (1859) में प्रकाशित किया। प्राकृतिक चयन द्वारा क्रम-विकास की प्रक्रिया को निम्नलिखित अवलोकनों से साबित किया जा सकता है :
जितनी संतानें संभवतः जीवित रह सकती हैं, उस से अधिक पैदा होती हैं, आबादी में रूपात्मक, शारीरिक और व्यवहारिक लक्षणों में विविधता होती है, अलग-अलग लक्षण उत्तर-जीवन और प्रजनन की अलग-अलग संभावना प्रदान परिवेश (जिसमें प्राकृतिक चयन हुआ था) के बेहतर अनुकूलित हों। प्राकृतिक वरण की प्रक्रिया इस आभासी उद्देश्यपूर्णता से उन लक्षणों को बनाती और बरकरार रखती है जो अपनी कार्यात्मक भूमिका के अनुकूल हों।अनुकूलन का प्राकृतिक वरण ही एक ज्ञात कारण है, लेकिन क्रम-विकास के और भी ज्ञात कारण हैं। माइक्रो-क्रम-विकास के अन्य गैर-अनुकूली कारण उत्परिवर्तन और जैनेटिक ड्रिफ्ट (अंग्रेज़ी: genetic drift) हैं।
अनुवांशिकता
माता-पिता एवं अन्य पूर्वजों के गुण (traits) का सन्तानों में अवतरित होना अनुवांशिकता (Heredity) कहलाती है। जीवविज्ञान में अनुवांशिकता का अध्ययन जेनेटिक्स के अन्तर्गत किया जाता है।या संतति मैं पैतृक लक्षणों के संचरण को आनुवांशिकता कहते हैं।
ऊर्जा
भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपान्तरित किया जा सकता हैं।
किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है।
पृथ्वी पर लगभग समस्त जीवन के लिए सूर्य ऊर्जा का स्रोत है। मुख्यतः वह प्रकाशीय ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा और अवरक्त ऊर्जा छोड़ता है।
ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती।
कोशिका
कोशिका (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रूप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं।
‘कोशिका’ का अंग्रेजी शब्द सेल (Cell) लैटिन भाषा के ‘शेलुला’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ ‘एक छोटा कमरा’ है। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय जीव कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे मनुष्य का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने १६६५ ई० में किया। १८३९ ई० में श्लाइडेन तथा श्वान ने कोशिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया जिसके अनुसार सभी सजीवों का शरीर एक या एकाधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है तथा सभी कोशिकाओं की उत्पत्ति पहले से उपस्थित किसी कोशिका से ही होती है।
सजीवों की सभी जैविक क्रियाएँ कोशिकाओं के भीतर होती हैं। कोशिकाओं के भीतर ही आवश्यक आनुवांशिक सूचनाएँ होती हैं जिनसे कोशिका के कार्यों का नियंत्रण होता है तथा सूचनाएँ अगली पीढ़ी की कोशिकाओं में स्थानान्तरित होती हैं।
कोशिकाओं का विधिवत अध्ययन कोशिका विज्ञान (Cytology) या ‘कोशिका जैविकी’ (Cell Biology) कहलाता है।
इतिहास
- 1665 रॉबर्ट हुक – कॉर्क ऊतक में कोशिकाओं का * 1665 रॉबर्ट हुक – कॉर्क ऊतक में कोशिकाओं का वर्णन
- 1683 एंटोनी वान लीउवेनहुक – सूक्ष्मदर्शी की सहायता से जीवाणु (बैक्टीरिया), एककोशिकीय जीव, रक्त कोशिकाओं और शुक्राणु को पता चला।
- 1758 कार्ल वॉन लिनिअस – अपने ‘सिस्टेमा नेचुरे’ नामक ग्रन्थ में जन्तु-जगत एवम् पादप-जगत का वर्गीकरण किया जो आज भी वैध है।
- 1839 थियोडोर श्वान और मैथियस जैकब स्लेडेन – कोशिका सिद्धान्त के संस्थापक
- 1858 चार्ल्स डार्विन (1842, अप्रकाशित) और अल्फ्रेड रसेल वालेस – ने स्वतंत्र रूप से विकासवाद के सिद्धांत की स्थापना की।
- 1866 ग्रेगर मेंडल – पादपों में संकरण (hybridization) के प्रयोगों के बारे में पहला प्रकाशन, आनुवंशिकी की स्थापना
- 1925 लोटका-वोल्त्रा समीकरण (Lotka-Volterra equations ) के साथ गणितीय जीवविज्ञान का युग शुरू
- 1935 में वेंडेल मेरेडिथ स्टेनली द्वारा विषाणु की खोज
- 1944 ओसवाल्ड एवरी ने दिखाया कि प्रोटीन नहीं बल्कि डीएनए आनुवंशिक सूचना का वाहक * 1944 ओसवाल्ड एवरी ने दिखाया कि प्रोटीन नहीं बल्कि डीएनए आनुवंशिक सूचना का वाहक है।
- 1950 बारबरा मैक्लिंटॉक ने आनुवांशिक सामग्री में गतिशील तत्वों (transposons) की खोज को प्रकाशित किया किन्तु वह लंबे समय तक अमान्य रहा। वर्तमान समय में उनका यही खोज आनुवंशिक इंजीनियरिंग प्रक्रियाओं का आधार है।
- 1952 एलन लॉयड हॉजकिन और एंड्रयू फील्डिंग हक्सले ने इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के आधारभूत समीकरण स्थापित किए।
- 1953 जेम्स डी वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक ने डीएनए के दोहरे हेलिक्स ढांचे को प्रकाशित किया। रोजालिंड फ्रैंकलिन और मौरिस विल्किंस ने भी संरचना को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 1973 जॉन मेनार्ड स्मिथ और जॉर्ज आर प्राइस ने विकासवादी स्थिर रणनीति (Evolutionary Stable Strategy) की अवधारणा प्रस्तुत की जो खेल सिद्धान्त और अर्थनीति सहित अनेक क्षेत्रों में उपयोगी है।
- 1982 स्टेनली प्रूसिनर ने प्रिओन्स (prions) की परिकल्पना दी जो अनुवांशिक तत्त्व से रहित संक्रामक एजेन्ट * 1982 स्टेनली प्रूसिनर ने प्रिओन्स (prions) की परिकल्पना दी जो अनुवांशिक तत्त्व से रहित संक्रामक एजेन्ट हैं।
- 1983 कैरी मुलिस (Kary Mullis) ने पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) का आविष्कार किया। इसके परिणामस्वरूप डीएनए अणुओं को प्रयोगशाला में लाखों गुना किया जा सकता * 1983 कैरी मुलिस (Kary Mullis) ने पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) का आविष्कार किया। इसके परिणामस्वरूप डीएनए अणुओं को प्रयोगशाला में लाखों गुना किया जा सकता है।
- 1990–2003 मानव जीनोम परियोजना द्वारा मानव जीनोम का अनुक्रमण * 1990–2003 मानव जीनोम परियोजना द्वारा मानव जीनोम का अनुक्रमण (Sequencing)
जीव विज्ञान
विज्ञान की वह शाखा, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक प्रकार के जीवन का अध्ययन किया जाता है, ‘जीव विज्ञान’ कहलाती है। इस | शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी वैज्ञानिक लैमार्क ( Lamarck ) तथा | जर्मन वैज्ञानिक ट्रैविरेनस (Treviranus) ने 1802 में किया था।
‘जीव विज्ञान’ शब्द ग्रीक के ‘Biology‘ शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है। Biology ग्रीक भाषा के दो शब्दों Bios तथा Logos से बना है, | जिसमें Bios का अर्थ है- Life (जीवन) तथा Logos का अर्थ है| Study (अध्ययन )।
इस प्रकार ‘जीव विज्ञान’ का अर्थ है- जीवन का अध्ययन (Study Of Life) अर्थात इस विषय के अन्तर्गत सभी सजीव | पदार्थों तथा जीवों के समस्त पहलुओं का क्रमबद्ध, गहन एवं सूक्ष्म
अध्ययन किया जाता है। पृथ्वी पर जीवन दो प्रकार का है- एक ‘जन्तु जीवन’ (Animal Life) तथा दूसरा ‘पादप जीवन’ (Plant Life)।
इसी आधार पर जीव जगत को दो भागों में विभक्त किया जाता है- (I) जन्तु जगत (Animal Kingdom) तथा (Ii) ‘पादप | जगत (Plant Kingdom)|
अंग्रेजी में जन्तु जगत के लिए Fauna | तथा पादप जगत के लिए Flora शब्द का भी प्रयोग किया जाता है। यद्यपि Fauna का प्रयोग किसी क्षेत्र विशेष या जीव वैज्ञानिक | काल विशेष के जन्तुओं के लिए तथा इसी प्रकार Flora शब्द का प्रयोग भी किसी क्षेत्र विशेष या काल विशेष (Geological Period) के पादपों के लिए किया जाता है।
जीव विज्ञान का जनक अरस्तू को माना जाता है। – Father Of Biology
जीव विज्ञान शब्द को 1802 ई. में लैमार्क और ट्रेविरेनस ने दिया।
वनस्पति विज्ञान का जनक थियोफ्रेस्टस को माना जाता है।
‘जीव विज्ञान‘ का अध्ययन 2 भागों में विभक्त कर किया जाता है-
(I) जन्तु विज्ञान ( Zoology )
(Ii) वनस्पति विज्ञान ( Botany )
‘जन्तु विज्ञान‘ कहलाती है। जन्तु विज्ञान ग्रीक भाषा के Zoology शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है। Zoology दो शब्दों Zoon तथा Logos से बना है, जिसमें Zoon का अर्थ है’जन्तु तथा Logos का अर्थ है अध्ययन । अर्थात् Zoology शब्द का अर्थ है- ‘जन्तु जगत का अध्ययन’।
प्रख्यात दार्शनिक अरस्तू ( Aristotle ) प्रथम ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने जन्तु इतिहास (Historia Animalium) नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने जन्तुओं की रचना, स्वभाव, जनन आदि के बारे में वर्णन किया तथा जन्तुओं का वर्गीकरण भी किया। इसलिए अरस्तू को | ‘जन्तु विज्ञान का पिता‘ ( Father Of Zoology ) कहा जाता है।
किन्तु स्वीडिश वैज्ञानिक- ‘कैरोलस लीनियस’ (Carolus Linnaeus) ने द्वि-नाम-पद्यति (Binomial Nomenclature) को जन्म दिया तथा अपनी पुस्तक- ‘सिस्टिमा नेचुरी’ (Systema Naturae) में जीव-जन्तुओं का आधुनिक वर्गीकरण किया। इसलिए इन्हें (लीनियस को), आधुनिक वर्गिका की पिता माना जाता है।
वनस्पति विज्ञान ( Botany ) जीव की वह शाखा, जिसके अन्तर्गत पादपों की संरचना तथा उनकी विभिन्न जैविक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, ‘वनस्पति विज्ञान’ कहलाती है। वनस्पति विज्ञान की ग्रीक भाषा के Botane शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है, जिसका अर्थ है- बूटी या पादप, चूंकि पादप जगत का वर्गीकरण उनके गुण, रूप और परिमाण (Size) के आधार पर सर्वप्रथम थियोफ्रेस्टस’ (Theophrastus) ने किया, इसलिए इन्हें ‘वनस्पति विज्ञान का जनक’ (Father Of Botany) माना जाता है। हम यहाँ जन्तु विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान का क्रमशः अध्ययन करेंगे।
शाखाएँ एवं जीवनवृति के विकल्प
नीचे जीवविज्ञान की प्रमुख शाखाएँ और उनका संक्षिप्त वर्णन दिया गया है
- शरीररचनाविज्ञान (Anatomy) – जीवों की संरचना का अध्ययन
- तुलनात्मक शारीरिकी (Comparative anatomy) – विभिन्न प्रजातियों (स्पीसीज) के शरीररचना की समानता और अन्तर के आधार पर उनके क्रमिक विकास (evolution) का अध्ययन
- ऊतकविज्ञान (Histology) – ऊतकों का अध्ययन, यह शरीररचनाविज्ञान का सूक्ष्म अध्ययन करती है।
- खगोल-जीवविज्ञान (Astrobiology) (also known as exobiology, exopaleontology, and bioastronomy) – the study of evolution, distribution, and future of life in the universe
- जीवरसायन (Biochemistry) – the study of the chemical reactions required for life to exist and function, usually a focus on the cellular level
- Biological engineering – the attempt to create products inspired by biological systems or to modify and interact with the biological systems
- जैवभूगोल (Biogeography) – the study of the distribution of species spatially and temporally
- जैवसूचनाविज्ञान (Bioinformatics) – the use of information technology for the study, collection, and storage of genomic and other biological data
- जैवभाषाविज्ञान (Biolinguistics) – the study of the biology and evolution of language
- जैवयांत्रिकी (Biomechanics) – the study of the mechanics of living beings
- जैवचिकित्सा अनुसन्धान (Biomedical research) – the study of health and disease
- जैवभौतिकी (Biophysics) – the study of biological processes by applying the theories and methods traditionally employed in the physical sciences
- जैवप्रौद्योगिकी (Biotechnology) – the study of the manipulation of living matter, including genetic modification and synthetic biology
- संश्लेषी जीवविज्ञान (Synthetic biology) – research integrating biology and engineering; construction of biological functions not found in nature
- वनस्पति विज्ञान (Botany) – पादपों का अध्ययन
- शैवालविज्ञान (Phycology) – शैवालों का वैज्ञानिक अध्ययन
- पादपकार्यिकी (Plant physiology) – concerned with the functioning, or physiology, of plants
- खगोलपादपिकी (Astrobotany) – the study of plants in space
- कोशिका जीवविज्ञान (Cell biology) – the study of the cell as a complete unit, and the molecular and chemical interactions that occur within a living cell
- ऐतिहासिक जीवविज्ञान (Chronobiology) – the study of periodic events in living systems
- संज्ञानात्मक जीवविज्ञान (Cognitive biology) – the study of cognition
- संरक्षण जीवविज्ञान (Conservation biology) – the study of the preservation, protection, or restoration of the natural environment, natural ecosystems, vegetation, and wildlife
- हिमजैविकी (Cryobiology) – the study of the effects of lower than normally preferred temperatures on living beings
- विकासात्मक जीवविज्ञान (Developmental biology) – the study of the processes through which an organism forms, from zygote to full structure
- भ्रूणविज्ञान (Embryology) – the study of the development of embryo (from fecundation to birth)
- जराविद्या (Gerontology) – वृद्ध होने की प्रक्रिया का अध्ययन
- पर्यावरणविज्ञान (Ecology) – the study of the interactions of living organisms with one another and with the non-living elements of their environment
- विकासीय जीवविज्ञान (Evolutionary biology) – the study of the origin and descent of species over time
- अनुवांशिकी (Genetics) – गुणसूत्र (ज़ीन) एवं अनुवांशिकता का अध्ययन
- जीनोमविज्ञान (Genomics) – the study of genomes
- Epigenetics – the study of heritable changes in gene expression or cellular phenotype caused by mechanisms other than changes in the underlying DNA sequence
- प्रतिरक्षाविज्ञान (Immunology) – the study of the immune system
- समुद्री जीवविज्ञान (Marine biology) (or biological oceanography) – the study of ocean ecosystems, plants, animals, and other living beings
- सूक्ष्मजीवविज्ञान (Microbiology) – the study of microscopic organisms (microorganisms) and their interactions with other living things
- जीवाणुविज्ञान (Bacteriology) – the study of bacteria
- कवकविज्ञान (Mycology) – the study of fungi
- परजीवीविज्ञान (Parasitology) – the study of parasites and parasitism
- विषाणुविज्ञान (Virology) – the study of viruses and some other virus-like agents
- अणु-जीवविज्ञान (Molecular biology) – the study of biology and biological functions at the molecular level, some cross over with biochemistry
- नैनोजीवविज्ञान (Nanobiology) – the application of nanotechnology in biological research, and the study of living organisms and parts on the nanoscale level of organization
- स्नायुविज्ञान (Neuroscience) – the study of the nervous system
- जीवाश्मिकी (Paleontology) – the study of fossils and sometimes geographic evidence of prehistoric life
- विकृतिजीवविज्ञान या विकृतिविज्ञान (Pathobiology or pathology) – the study of diseases, and the causes, processes, nature, and development of disease
- भेषजगुण विज्ञान (Pharmacology) – the study of the interactions between drugs and organisms
- शरीरक्रियाविज्ञान या कार्यिकी (Physiology) – जीवों में होने वाले विभिन्न कार्य एवं उनकी मेकेनिज्म
- पादवविकृतिविज्ञान (Phytopathology) – the study of plant diseases (also called Plant Pathology)
- मनोजीवविज्ञान (Psychobiology) – the application of methods traditionally used in biology to study human and non-human animals behaviour
- क्वाण्टम जीवविज्ञान (Quantum biology) – the study of the role of quantum phenomena in biological processes
- समाजजीवविज्ञान (Sociobiology) – the study of social behavior in terms of evolution
- तंत्र जीवविज्ञान (Systems biology) – the study of complex interactions within biological systems through a holistic approach
- संरचनात्मक जीवविज्ञान (Structural biology) – a branch of molecular biology, biochemistry, and biophysics concerned with the molecular structure of biological macromolecules
- सैद्धान्तिक जीवविज्ञान (Theoretical biology) – the branch of biology that employs abstractions and mathematical models to explain biological phenomena
- प्राणिविज्ञान (Zoology) – प्राणियों का अध्ययन, जिसमें उनका वर्गीकरण, कार्यिकी, विकास, व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत-
- स्वाभाविकी (Ethology) – प्राणियों के व्यवहार का अध्ययन
- कीटविज्ञान (Entomology) – कीटों (insects) का अध्ययन
- उभयसृपविज्ञान (Herpetology) – सरीसृप और उभयचर का अध्ययन
- मत्स्यविज्ञान (Ichthyology) – मछलियों का अध्ययन
- स्तनिकी (Mammalogy) – स्तनधारी प्राणियों का अध्ययन
- पक्षिविज्ञान (Ornithology) – पक्षियों का अध्ययन
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