Class 12 Biology Chapter 7 विकास Question Answer in Hindi: कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 7 के लिए एक विस्तृत प्रश्न-उत्तर मार्गदर्शिका का अन्वेषण करें। विशेषज्ञ समाधान के साथ अपनी शंकाओं को दूर करें।
Class 12 Biology Chapter 7 विकास Question Answer in Hindi
अभ्यास (पृष्ठ संख्या 155)
प्रश्न 1 डार्विन के चयन सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में जीवाणुओं में देखे गए प्रतिजैविक प्रतिरोध का स्पष्टीकरण करे।
उत्तर- रोगजनक जीवाणुओं के विरुद्ध प्रतिजैविक अत्यन्त प्रभावी होते हैं किन्तु किसी नये प्रतिजैविक के विकास के 2-3 वर्ष पश्चात् नये प्रतिजैविक प्रतिरोधी, समष्टि में प्रकट हो जाते हैं। कभी-कभी एक जीवाणुवीय समष्टि में एक अथवा कुछ ऐसे जीवाणु उत्परिवर्तन युक्त होते हैं जो उन्हें प्रतिजैविक के लिए प्रतिरोधी बनाते हैं। इस प्रकार के प्रतिरोधी जीवाणु तेजी से गुणन व उत्तरजीविता करने लगते हैं। शीघ्र ही प्रतिरोधिता प्रदान करने वाले जीन दूर-दूर तक फैल जाते हैं व सम्पूर्ण जीवाणु समष्टि प्रतिरोधी बन जाते हैं। कुछ अस्पतालों में प्रतिजैविक प्रतिरोधी पनपते रहते हैं क्योंकि वहाँ प्रतिजैविकों का अत्यधिक प्रयोग होता है।
प्रश्न 2 समाचार-पत्रों और लोकप्रिय वैज्ञानिक लेखों से विकास सम्बन्धी नए जीवाश्मों और मतभेदों की जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर- वैज्ञानिकों को मोरक्को में 60 करोड़ वर्ष पुराने प्राणियों के जीवाश्म मिले हैं, जो आधुनिक हाथी के पूर्वज खरगोश के आकार के थे। पैलेओंटोलॉजिस्ट एम्मानुएल ने कैसाब्लांका, मोरक्को से 60 मील (100 किलोमीटर) पूर्व में बेसिन में खरगोश के आकार के प्रोटो-हाथी के खोपड़ी के टुकड़े की खोज की। इथोपिया तथा तंजानिया से कुछ मानव जैसी अस्थियाँ के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। मिस्र में कैरो के पास सन् 1961 में एक पुरानी दुनिया का एक जीवाश्म प्राप्त हुआ है। इसमें 32 दाँत थे। 1858 में ओरियोपिथेकस का जीवाश्म इटली में एक कोयले की खान में इसका पूरा कंकाल प्राप्त हुआ।
प्रश्न 3 प्रजाति की स्पष्ट परिभाषा देने का प्रयास कीजिए।
उत्तर- प्रजाति आकारिकी रूप से प्रथम व प्रजनन रूप से विलगित व्यष्टियों की एक या ज्यादा प्राकृतिक समष्टि होती है जो एक-दूसरे से अत्यधिक मिलती-जुलती है तथा आपस में एक-दूसरे के बीच स्वतंत्र रूप से प्रजनन करते हैं।
प्रश्न 4 मानव विकास के विभिन्न घटकों का पता कीजिए (संकेत-मस्तिष्क साइज और कार्य, कंकाले संरचना, भोजन में पसंदगी आदि)।
उत्तर- लगभग 16 मिलियन वर्ष पूर्व ड्रायोपिथिकस (Dryopithecus) तथा रामापिथिकस (Ramapithecus) प्राइमेट्स विद्यमान थे। इनके शरीर पर भरपूर बाल थे तथा ये गोरिल्ला एवं चिम्पैंजी जैसे चलते थे। इनमें ड्रायोपिथिकस वनमानुष (ape) जैसे और रामापिथिकस मनुष्यों जैसे थे। इथोपिया तथा तंजानिया में अनेक मानवी विशेषताओं को प्रदर्शित करते जीवाश्म प्राप्त हुए। इससे यह स्पष्ट होता है कि 3-4 मिलियन वर्ष पूर्व मानव जैसे वानर गण (प्राइमेट्स) पूर्वी अफ्रीका में विचरण करते थे। ये लगभग 4 फुट लम्बे थे और सीधे खड़े होकर चलते थे। लगभग 2 मिलियन वर्ष पूर्व ऑस्ट्रेलोपिथेसिन (Australopithecines) अर्थात् आदि मानव सम्भवतः पूर्वी अफ्रीका के घास स्थलों में विचरण करता था। होमो हैबिलिस (Homo habilis) को प्रथम मानव जैसे प्राणी के रूप में जाना जाता है। होमो इरेक्टस (Homo erectus) के जीवाश्म लगभग 1.5 मिलियन वर्ष पूर्व के हैं। इसके अन्तर्गत जावा मानव, पेकिंग मानव, एटलांटिक मानवे आते हैं। प्लीस्टोसीन युग के अन्तिम काल में होमो सेपियन्स (वास्तविक मानव) ने होमो इरेक्टस का स्थान ले लिया। इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से निएण्डरथल मानव, क्रोमैगनॉन मानव एवं वर्तमान मानवे आते हैं।
मानव विकास के विभिन्न घटक-
विकास के अन्तर्गत उपार्जित निम्नलिखित विशिष्ट घटकों (लक्षणों) के कारण मानव का विकास हुआ-
- द्विपाद चलन (Bipedal locomotion)- मानव पिछली टाँगों की सहायता से चलता है। अग्रपाद (भुजाएँ) अन्य कार्यों के उपयोग में आती हैं। पश्चपाद लम्बे और मजबूत होते हैं।
- सीधी मुद्रा (Erect posture)-
इसके लिए निम्नलिखित परिवर्तन हुए हैं-
- टाँगें लम्बी होती हैं। धड़ छोटा और वक्ष चौड़ा होता है।
- कशेरुक दण्ड में लम्बर कशेरुकाओं की संख्या 4-5 होती है। त्रिक कशेरुकाएँ समेकित होती हैं।
- कशेरुक दण्ड में कटि आधान (lumbar curve) होता है।
- श्रोणि मेखला चिलमचीनुमा (basin shaped) होती है।
- खोपड़ी कशेरुक दण्ड पर सीधी-सधी होती है महारन्ध्र नीचे की ओर होता है।
- चेहरा (Face)- मानव का चेहरा उभर कर सीधा रहता है। इसे ऑर्थोग्नेथस (orthognathous) कहते हैं। मानव में भौंह के उभार हल्के होते हैं।
- दाँत(Teeth)- सर्वाहारी होने के कारण अविशिष्टीकृत होते हैं। इनकी संख्या 32 होती है। मानव पहले शाकाहारी था, बाद में सर्वाहारी हो गया।
- वस्तुओं को पकड़ने की क्षमता (Grasping ability)- मानव के हाथ वस्तुओं को पकड़ने के लिए रूपान्तरित हो गए हैं। अँगूठा सम्मुख (opposable) हो जाने के कारण वस्तुओं को पकड़ने व उठाने की क्षमता का विकास हुआ।
- मस्तिष्क व कपाल क्षमता (Brain & Cranial Capacity)- प्रमस्तिष्क तथा अनुमस्तिष्क (cerebrum & cerebellum) सुविकसित होता है। कपाल क्षमता लगभग 1450 cc होती है। शरीर के भार वे मस्तिष्क के भार का अनुपात सबसे अधिक होता है। मस्तिष्क के विकास होने के कारण मानव का बौद्धिक विकास (intelligence) चरम सीमा पर पहुँच गया है। इसमें अक्षरबद्ध वाणी, भावनाओं की अभिव्यक्ति, चिन्तन, नियोजन एवं तर्क संगतता की अपूर्ण क्षमता होती है।
- द्विनेत्री दृष्टि (Binocular vision)- द्विपादगमन के फलस्वरूप इसमें द्विनेत्री (binocular) तथा त्रिविमदर्शी (stereoscopic) दृष्टि पायी जाती है।
- जनन क्षमता (Breeding capacity)- में कमी, शरीर पर बालों की कमी, घ्राण शक्ति (Olfactory sense) में कमी, श्रवण शक्ति (hearing) में कमी आदि अन्य विकासीय लक्षण हैं।
प्रश्न 5 इंटरनेट (अंतरजाल तन्त्र) या लोकप्रिय विज्ञान लेखों से पता कीजिए कि क्या मानवेत्तर किसी प्राणी में आत्म संचेतना थी?
उत्तर- आत्म संचेतना को मानसिक संपर्क या व्यक्तिगत रूप से स्वयं के प्रति किसी की जागरूकता या स्वयं के अस्तित्व, क्रिया या सोच के रूप में पारिभाषित किया जा सकता है। मानव के अतिरिक्त डॉल्फिन, कौवा, तोता, चिम्पैंजी, गोरिल्ला आदि में आत्म संचेतना मौजूद है।
प्रश्न 6 इंटरनेट (अन्तरजाल-तन्त्र) संसाधनों का उपयोग करते हुए आज के 10 जानवरों और उनके विलुप्त जोड़ीदारों की सूची बनाएँ (दोनों के नाम दें)।
उत्तर-
क्रम. जानवर विलुप्त जोड़ीदार1.मानवहोमो सैंपियंस2.कुत्तालेप्टोसिओन3.चिम्पैंजीड्रायोपिथिकस4.हाथीमोरिथर्स5.घोड़ाइओहिप्पस6.गोरिल्लाड्रायोपिथिकस7.ऊँटप्रोटिलोपस8.व्हेलप्रोटोसिटस9.कंगारूप्रोटीथेरिया स्तनी10.ऑक्टोपसबेलेमनाईट |
प्रश्न 7 विविध जन्तुओं और पौधों के चित्र बनाएँ।
उत्तर-
प्रश्न 8 अनुकूलनी विकिरण के एक उदाहरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर- गैलापैगों द्वीप का डार्विन फिंच अनुकूलनी विकिरण का एक उदाहरण है। उनके एक ही पूर्वज थे, लेकिन समय बीतने के साथ वे विकसित होते गए तथा अपने आवास के अनुसार स्वयं को अनुकूलित किया।
प्रश्न 9 क्या हम मानव विकास को अनुकूलनी विकिरण कह सकते हैं?
उत्तर- नहीं, मानव विकास को अनुकूलनी विकिरण नहीं कह सकते क्योंकि होमो सेपियन्स की जनक जातियाँ प्रगामी विकास द्वारा एच हेबिलस-एच इरेक्टस (वंशज) से विकसित हुईं।
प्रश्न 10 विभिन्न संसाधनों जैसे-विद्यालय का पुस्तकालय या इंटरनेट (अन्तर जाल तन्त्र) तथा अध्यापक से चर्चा के बाद किसी जानवर जैसे कि घोड़े के विकासीय चरणों को खोजें।
उत्तर- घोड़े का उद्भव लगभग 60 करोड़ वर्ष पहले, पूर्वी उत्तरी अमेरिका में इओसीन (eocene) युग में हुआ था। इसके विकास की विभिन्न अवस्थाएँ निम्नलिखित हैं-
- इओहिप्पस (Eohippus)- इसका उद्भव इओसीन युग में हुआ था। इस युग का घोड़ा, लोमड़ी जैसा व 30 सेमी ऊँचा था। इसका सिर व गर्दन अत्यन्त छोटे थे। यह पत्तियाँ, घास आदि खाता था। इसका अग्रपाद चार क्रियात्मक अंगुली युक्त था किन्तु पश्चपाद में सिर्फ तीन अंगुलियाँ थीं।
- मीसोहिप्पस (Mesohippus)- यह ओलिगोसीन युग का घोड़ा था। इसका आकार भेड़ जैसा था व इसके अग्र तथा पश्चपाद तीन-तीन अंगुली युक्त थे। मध्य वाली अंगुली अपेक्षाकृत ज्यादा बड़ी थी जो संभवत: शरीर का बोझ वहन करती थी।
- मेरीचिप्पस (Merrichippus)- यह मायोसिन युग का घोड़ा था। यह वर्तमान के टट्टू जितना ऊँचा था व दोनों टाँगें तीन-तीन अंगुलियाँ युक्त थीं। इनकी सिर्फ मध्य वाली अंगुली ही पृथ्वी तक पहुँच पाती थी व यह तेज दौड़ सकता था।
- प्लायोहिप्पस (Pliohippus)- यह प्लायोसिन युग का घोड़ा था। यह एक अंगुली वाला घोड़ा था।
इक्वस (Equus)- यह प्लास्टोसिन युग का घोड़ा है। इसकी ऊँचाई 1.50 मीटर थी।
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