Class 12 Biology Chapter 6 वंशागति का आणविक आधार in Hindi Question Answer

Class 12 Biology Chapter 6 वंशागति का आणविक आधार in Hindi Question Answer: कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 6: विरासत का आणविक आधार के लिए हिंदी में विस्तृत प्रश्न-उत्तर चर्चा का अन्वेषण करें। अपने संदेहों को प्रभावी ढंग से स्पष्ट करें।

Class 12 Biology Chapter 6 वंशागति का आणविक आधार in Hindi Question Answer

अभ्यास (पृष्ठ संख्या 136-137)

प्रश्न 1 निम्न को नाइट्रोजनीकृत क्षार व न्यूक्लिओटाइड के रूप में वर्गीकृत कीजिए-

एडेनीन, साइटीडीन, थाइमीन, ग्वानोसीन, यूरेसील व साइटोसीन।

उत्तर-

नाइट्रोजनीकृत क्षार- एडेनीन, थाइमिन तथा यूरेसील।

न्यूक्लियोटाइड- साइटीडीन, ग्वानोसीन तथा साइटोसीन।

प्रश्न 2 यदि एक द्विरज्जुक DNA में 20 प्रतिशत साइटोसीन है तो DNA में मिलने वाले एडेनीन के प्रतिशत की गणना कीजिए।

उत्तर- चारग्राफ के नियमानुसार द्विरज्जुक DNA में →A + G = T + C = 1 होता है।

अर्थात्- एडेनीन = थाइमीन, ग्वानिन = साइटोसीन

चूँकि साइटोसीन की दी गई मात्रा 20% है तो ग्वानिन भी 20% होगा।

ग्वानिन + साइटोसीन = 20 + 20 = 40%

A + G = 100 – 40%

A + G = 60%

चूँकि A = G होता है।

अत: एडेनीन की मात्रा =602=30 होगी।

प्रश्न 3 यदि डी०एन०ए० के एकरज्जुक के अनुक्रम निम्नवत् लिखे हैं-

5′ – ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC – 3′ तो पूरक रज्जुक के अनुक्रम को 5 → 3 दिशा में लिखिए।

उत्तर- डी०एन०ए० द्विकुण्डली संरचना होती है अर्थात् यह दो पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं (polynucleotide chains) से बना होता है। दोनों श्रृंखलाएँ प्रतिसमानान्तर ध्रुवणता रखती हैं। इसका तात्पर्य है यदि एक श्रृंखला की ध्रुवणता 5 से 3′ की ओर हो तो दूसरे की ध्रुवणता 3 से 5′ की तरफ होगी।

दोनों श्रृंखलाओं के नाइट्रोजनी क्षार परस्पर हाइड्रोजन बन्ध (bonds) द्वारा जुड़े रहते हैं। ऐडेनीन दो हाइड्रोजन बन्ध द्वारा थाइमीन (A = T) से और साइटोसीन तीन हाइड्रोजन बन्ध द्वारा ग्वानीन (C ≡ G) से जुड़े होते हैं। इसके फलस्वरूप प्यूरीन (purine) के विपरीत दिशा में पिरिमिडीन (pyrimidine) होता है। इससे डी०एन०ए० द्विकुण्डली के दोनों पॉलिन्यूक्लियोटाइड के मध्य समान दूरी बनी रहती है।

अतः डी०एन०ए० के पूरक रज्जुक (श्रृंखला) में नाइट्रोजनीकृत क्षार का अनुक्रम निम्नवत् होगा-

5′ – ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′

3′ – TACGTACGTACGTACGTACGTACGTACG-5′

प्रश्न 4 यदि अनुलेखन इकाई में कूट लेखन रज्जुक के अनुक्रम को निम्नवत् लिखा गया है-

5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′ तो दूत-आर०एन०ए० के अनुक्रम को लिखिए।

उत्तर- आर०एन०ए० का निर्माण डी०एन०ए० से होता है। आर०एन०ए० सामान्यतया एकरज्जुकी संरचना (single strand structure) होती है। इसमें थाइमीन नाइट्रोजनीकृत क्षार के स्थान पर यूरेसिल (uracil) पाया जाता है। डी०एन०ए० का एकरज्जुक (अनुलेखन इकाई) से आनुवंशिक सूचनाओं का दूत-आर०एन०ए० (m-R.N.A.) में प्रतिलिपिकरण करने की प्रक्रिया अनुलेखन (transcription) कहलाती है।

यदि कूटलेखन रज्जुक (coding strand) के अनुक्रम निम्नवत् हैं-

5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3’।

तो दूत-आर०एन०ए० (m-R.N.A.) के अनुक्रम निम्नवत् होंगे-

5′-AUGCAUGCAUGCAUGCAUGCAUGCAUGC-3′।

प्रश्न 5 DNA द्विकुंडली की कौन-सी विशेषता ने वाटसन व क्रिक को DNA प्रतिकृति के सेमी कंजर्वेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया? इसकी व्याख्या कीजिए।

उत्तर- वाटसन व क्रिक का सहयोग करने वाली डीएनए द्विकुंडली की विशेषता:

दोनों रज्जुकों के क्षार आपस में हाइड्रोजन बंध द्वारा युग्मित होकर क्षार युग्मक बनाते हैं, जबकि एडेनिन व थाइमिन जो विपरीत रज्जुकों में होते हैं, आपस में दो हाइड्रोजन बंध बनाते हैं।

दो रज्जुक एक दूसरे के विपरीत होती हैं जिसमें क्षार हमेशा अपने समकक्ष A के साथ T तथा G के साथ C युग्म बनाते हैं।

प्रश्न 6 टेम्पलेट (डी०एन०ए० या आर०एन०ए०) की रासायनिक प्रकृति व इससे (डी०एन०ए० या आर०एन०ए०) संश्लेषित न्यूक्लीक अम्लों की प्रकृति के आधार पर न्यूक्लीक अम्ल पॉलिमरेज के विभिन्न प्रकार की सूची बनाइए।

उत्तर- न्यूक्लीक अम्ल पॉलिमरेज निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

  1. डी०एन०ए० पॉलिमरेज (D.N.A. polymerase)- एन्जाइम प्रतिकृति (replication) के लिए आवश्यक है। यह डी०एन०ए० टेम्पलेट का उपयोग डि-ऑक्सीन्यूक्लियोटाइड के बहुलकन (polymerisation) को प्रेरित करने के लिए करता है। डी०एन०ए० अणुओं की दोनों श्रृंखलाएँ एकसाथ पृथक् नहीं होतीं। डी०एन०ए० द्विकुण्डली प्रतिकृति हेतु छोटे-छोटे भागों में खुलती है। इसके फलस्वरूप बनने वाले खण्ड परस्पर डी०एन०ए० लाइगेज (D.N.A. ligase) एन्जाइम द्वारा जुड़ जाते हैं। डी०एन०ए० पॉलिमरेज स्वयं प्रतिकृति प्रक्रम का प्रारम्भ नहीं कर सकते। यह कुछ निश्चित स्थल पर संवाहक (vector) की सहायता से होती है।
  2. आर०एन०ए० पॉलिमरेज (R.N.A. polymerase)- यह डी०एन०ए० पर निर्भर आर०एन०ए० पॉलिमरेज (D.N.A. dependent R.N.A. polymerase) होता है। यह D.N.A. को सभी प्रकार के आर०एन०ए० के अनुलेखन (transcription) के लिए उत्प्रेरित करता है। आर०एन०ए० पॉलिमरेजे अस्थायी रूप से प्रारम्भन कारक या समापन कारक से जुड़कर अनुलेखन का प्रारम्भ या समापन करता है। केन्द्रक में डी०एन०ए० पर निर्भर आर०एन०ए० पॉलिमरेज के अतिरिक्त निम्नलिखित तीन प्रकार के आर०एन०ए० पॉलिमरेज मिलते हैं-
  • आरएनए पॉलीमरेज-I पर निर्भर डीएनए आर आरएनए का अनुलेखन करते हैं।
  • आरएनए पॉलीमरेज-II पर निर्भर डीएनए दूत आरएनए (mRNA) के पूर्ववर्ती रूप का अनुलेखन करते हैं।
  • आरएनए पॉलीमरेज-III पर निर्भर डीएनए अंतरण आरएनए (tRNA) का अनुलेखन करते हैं।

प्रश्न 7 DNA आनुवंशिक पदार्थ है, इसे सिद्ध करने हेतु अपने प्रयोग के दौरान हर्षे व चेस ने DNA व प्रोटीन के बीच कैसे अंतर स्थापित किया?

उत्तर- हर्षे वे चेस ने DNA को आनुवंशिक पदार्थ सिद्ध करने हेतु P32 व P32 आइसोटॉप्स युक्त माध्यम, में ई० कोलाई जीवाणु का संवर्द्धन कराया। कुछ समय वृद्धि करने के पश्चात् जीवाणु को जीवाणुभोजी द्वारा संक्रमित कराया गया। संक्रमण के पश्चात् देखा गया कि जीवाणुभोजी का प्रोटीन आवरण S35 रेडियोधर्मी युक्त हो गया था जबकि इसके DNA में सल्फर नहीं होता। इसके विपरीत जीवाणुभोजी का DNA P32 रेडियोधर्मी आइसोटॉप्स की उपस्थिति दिखा रहा था, क्योंकि DNA में फॉस्फोरस होता है। प्रोटीन आवरण में P32 अनुपस्थित था। P32 रेडियोधर्मी युक्त जीवाणुभोजी द्वारा ऐसे जीवाणु को संक्रमित कराया गया जिसमें रेडियोधर्मी तत्त्व नहीं थे। संक्रमण के पश्चात् देखा गया कि समस्त जीवाणु रेडियोधर्मी हो गये थे। अधिकांश रेडियोधर्मी आइसोटॉप्स जीवाणुभोजी की अगली पीढ़ी में भी स्थानांतरित हो गये थे।

रेडियोधर्मी तत्त्व रहित जीवाणुओं में S32 युक्त जीवाणुभोजी द्वारा संक्रमण कराने पर तथा जीवाणुभोजी पृथक् करने पर देखा गया कि जीवाणुओं में रेडियोधर्मी तत्त्व मौजूद नहीं थे बल्कि ये जीवाणुभोजी के प्रोटीन आवरण में ही रह गये थे। उपरोक्त प्रयोग सिद्ध करता है कि जीवाणुभोजी का DNA ही वह पदार्थ है जो नये जीवाणुभोजी उत्पन्न करता है व संक्रमण में भाग लेता है। यह सिद्ध हो गया कि DNA आनुवंशिक पदार्थ है, प्रोटीन नहीं। इसके अतिरिक्त DNA फॉस्फोरस युक्त होता है जबकि प्रोटीन में फॉस्फोरस नहीं होता है। DNA सल्फर रहित होता है, जबकि प्रोटीन, सल्फर युक्त होता है।

प्रश्न 8 निम्न के बीच अंतर बताइए-

  1. पुनरावृत्ति डीएनए एवं अनुषंगी डीएनए
  2. एमआरएनए और टीआरएनए
  3. टेम्पलेट रज्जु और कोडिंग रज्जु

उत्तर- 

  1. पुनरावृत्ति डीएनए एवं अनुषंगी डीएनए-
क्रम.पुनरावृत्ति डीएनएअनुषंगी डीएनए1.डीएनए अंगुलिछापी में डीएनए अनुक्रम में स्थित कुछ विशिष्ट जगहों के बीच विभिन्नता का पता लगाते हैं, जिसे पुनरावृत्ति डीएनए कहते हैं।डीएनए ढेर एक बहुत बड़ा शिखर बनाता है जबकि साथ में अन्य छोटे शिखर बनते हैं जिसे अनुषंगी डीएनए कहते हैं।2.अनुक्रमों में डीएनए का छोटा भाग कई बार पुनरावृत होता है।पुनरावृत्ति डीएनए को जीनोमिक डीएनए के ढेर से अलग करने के लिए जो विभिन्न शिखर बनाते हैं घनत्व प्रवणता अपकेंद्रीकरण द्वारा अलग करते हैं।एमआरएनए और टीआरएनए-
क्रम.एमआरएनएटीआरएनए1.एमआरएनए टेम्पलेट प्रदान करता है।टीआरएनए एमीनो अम्लों को लाने व आनुवांशिक कूट को पढ़ने का काम करता है।2.यह एक रैखिक अणु है।इसका आकार तिपतिया (क्लोवर) की पत्ती जैसा होता है।3.यह आरएनए पॉलीमरेज-II द्वारा संश्लेषित होता है।यह आरएनए पॉलीमरेज-III द्वारा संश्लेषित होता है।
टेम्पलेट रज्जु और कोडिंग रज्जु-टेम्पलेट रज्जुकोडिंग रज्जुटेम्पलेट रज्जु में आरएनए अणुओं का अनुलेखन होता है।इसका अनुक्रम एमआरएनए के समान होता है।इसमें ध्रुवत्व 3’→5’ होता है।इसमें ध्रुवत्व 5’→3’ होता है।

प्रश्न 9 स्थानान्तरण के दौरान राइबोसोम की दो मुख्य भूमिकाओं की सूची बनाइए।

उत्तर- स्थानान्तरण (Translation)- इस प्रक्रिया में ऐमीनो अम्लों के बहुलकन (polymerisation) से पॉलिपेप्टाइड का निर्माण होता है। ऐमीनो अम्लों के क्रम व अनुक्रम सन्देशवाहक आर०एन०ए० में पाए जाने वाले क्षारों के अनुक्रम पर निर्भर करते हैं। ऐमीनो अम्ल पेप्टाइड बन्ध (peptide bonds) द्वारा जुड़े रहते हैं। स्थानान्तरण प्रक्रिया पूर्ण होने पर पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला राइबोसोम से पृथक् हो जाती है।

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स्थानान्तरण में राइबोसोम की भूमिका-

राइबोसोम का छोटा सबयूनिट m-R.N.A. के प्रथम कोडॉन (AUG) के साथ बन्धित होकर समारम्भ कॉम्प्लैक्स (initiation complex) ऐमीनो ऐसिल t-R.N.A. बनाता है जिसकी पहचान प्रारम्भक t-R.N.A. द्वारा की जाती है। ऐमीनो अम्ल t-R.N.A. से जुड़कर एक जटिल रचना बनाते हैं जो आगे चलकर t-R.N.A. के प्रति प्रकूट (anticodon) से पूरक क्षार युग्म बनाकर m-R.N.A. के उचित आनुवंशिक कोडॉन से जुड़ जाती है।

राइबोसोम के बड़े सबयूनिट पर t-R.N.A. अणुओं के जुड़ने के लिए दो खाँच होती हैं, इन्हें P-site या दाता स्थल और A-site या ग्राही स्थल कहते हैं। P-site (दाता-स्थल) पर पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला को धारण करने वाला t-R.N.A. जुड़ता है। A-site (ग्राही स्थल) पर ऐमीनो ऐसिल t-R.N.A. जुड़ता है। बड़े सबयूनिट के पेप्टाइड सिन्थेटेज (peptide synthetase) एन्जाइम पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला के ऐमीनो अम्ल के -COOH तथा ऐमीनो ऐसिल t-R.N.A. के ऐमीनो अम्ल के -NH, के मध्य पेप्टाइड बन्ध बनाता है।

प्रश्न 10 उस संवर्धन में जहाँ ई० कोलाई वृद्धि कर रहा हो लैक्टोज़ डालने पर लैक-ओपेरॉन उत्प्रेरित होता है, तब कभी संवर्धन में लैक्टोज़ डालने पर लैक-ओपेरॉन कार्य करना क्यों बन्द कर देता है?

उत्तर- लैक्टोज लैक ओपेरान की सक्रियता के आरंभ (आन) या निष्क्रियता समाप्ति (ऑफ) को नियमित करता है। यदि जीवाणु के संवर्धन माध्यम में लैक्टोज दाल दिया जाता है तब पारमिएड की क्रिया द्वारा लैक्टोज कोशिका के अंदर अभिगमन करता है।

ओपेरान का दमनकारी आई (i) जीन द्वारा संश्लेषित होता है। दमनकारी प्रोटीन ओपेरान के प्रचालक स्थल से बंधकर आरएनए पॉलीमरेज को निष्क्रिय कर देता है जिससे ओपेरान अनुलेखित नहीं हो पाता है। प्रेरक जैसे लैक्टोज की उपस्थिति में दमनकारी प्रेरक से क्रियाकर निष्क्रियित हो जाता है। इसके फलस्वरूप आरएनए पॉलीमरेज उन्नायक से बँध कर अनुलेखन की शुरुआत करता है।

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प्रश्न 11 निम्न के कार्यों का वर्णन (एक अथवा दो पंक्तियों में) कीजिए-

  1. उन्नायक (प्रोमोटर)
  2. अन्तरण आर.एन.ए. (t-RNA)
  3. एक्जान

उत्तर- 

  1. उन्नायक प्रोमोटर- DNA का यह अनुक्रम जीन अनुलेखन इकाई बनाता है तथा अनुलेखन इकाई में स्थित टेम्पलेट व कूटलेखन रज्जुक का निर्धारण करता है।
  2. अन्तरण आर.एन.ए. tRNA- tRNA प्रोटीन संश्लेषण के दौरान अमीनो अम्लों को कोशिकाद्रव्य से राइबोसोम तक स्थानान्तरित करता है।
  3. एक्जान (Exon)- एक्जान में नाइट्रोजनी क्षारकों का अनुक्रम होता है तथा ये mRNA के संश्लेषण में सहायता करते हैं।

प्रश्न 12 मानव जीनोम परियोजना को महापरियोजना क्यों कहा जाता है?

उत्तर- मानव जीनोम परियोजना को महापरियोजना कहा गया, क्योंकि-

  1. इसका उद्देश्य संपूर्ण मानव जीनोम में स्थित न्यूक्लियोराइड्स क्रमों का निर्धारण था जो कि बड़ी संख्या में इस योजना का लक्ष्य था। 
  2. मानव जीनोम में लगभग 3×109 क्षार युग्म मिलते हैं तथा पूरी योजना पर खर्च होने वाली लागत लगभग 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। 
  3. सूचनाओं के संग्रह, विश्लेषण व पुनः उपयोग के लिए जैव सूचना विज्ञान के आँकड़ों तथा उच्च गतिकीय संगणक साधन की आवश्यकता होती थी। 
  4. इस समय परियोजना को पूरा करने के लिए कई देशों ने संयुक्त रूप से काम किया।

प्रश्न 13 डी०एन०ए० अंगुलिछापी क्या है? इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- डी०एन०ए० अंगुलिछापी- डी०एन०ए० फिंगर प्रिन्टिंग तकनीक (अंगुलिछापी) को सर्वप्रथम एलेक जेफ्रे (Alec Jaffreys) ने इंग्लैण्ड में विकसित किया था। इसकी सहायता से विभिन्न व्यक्तियों अथवा जीवधारियों के मूल आनुवंशिक पदार्थ (D.N.A.) में भिन्नताओं को देखा जा सकता है। जैसा कि ज्ञात है कि जीवधारी की प्रजाति के सभी सदस्यों के डी०एन०ए० प्रारूप भिन्न होते हैं। यही कारण है कि समरूपी जुड़वाँ (identical twins) को छोड़कर किसी भी व्यक्ति का फिंगर प्रिन्ट एक-दूसरे से मेल नहीं करता। प्रत्येक जीवधारी की सभी कोशिकाओं में एक जैसा डी०एन०ए० पाया जाता है। डी०एन०ए० के कारण एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है। डी०एन०ए० के फिंगर प्रिन्टिग द्वारा डी०एन०ए० में स्थित उन क्षेत्रों की पहचान की जाती है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में किसी भी मात्रा में भिन्नता दर्शाते हैं।

डी०एन०ए० के इन्हीं क्षेत्रों के कारण शरीर में विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। इन विभिन्नता दर्शाने वाले सैटेलाइट डी०एन०ए० (Satellite D.N.A.) को प्रोब (परीक्षण करने वाली सलाई) की भाँति प्रयोग करते हैं। इसमें काफी बहुरूपता होती है। एक्स-रे फिल्म पर एक पट्टिकाओं (bands) के क्रम के रूप में प्राप्त करके उनकी स्थिति, विशिष्टता और पहचान कर सकते हैं। किसी एक व्यक्ति के डी०एन०ए० के क्रम पट्टियों के रूप में अनिवार्य रूप से विशिष्ट होते हैं। समरूप जुड़वाँ के डी०एन०ए० पूर्णरूपेण समरूप हो सकते हैं।

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इन पट्टियों का परिचित्र इलेक्ट्रोफोरेसिस तथा एक रेडियोऐक्टिव पदार्थ की सहायता से प्राप्त किया जाती है। विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में क्षारों की मात्रा विलोमानुपाती ढंग से दूरियाँ तय करती है जो कि बैण्ड्स या पट्टिकाओं के रूप में दृष्टिगोचर होती है।

डी०एन०ए० फिंगर प्रिन्ट विभिन्न ऊतकों (खून, बाल पुटक, त्वचा, अस्थि, लार, शुक्राणु आदि) से प्राप्त किए जा सकते हैं। डी०एन०ए० फिंगर प्रिन्ट का उपयोग अपराध मामलों जैसे-खूनी, बलात्कारी को पहचानने के लिए, पितृत्व के झगड़ों में पारिवारिक सम्बन्धों को ज्ञात करने आदि में किया जाता है।

प्रश्न 14 निम्न का संक्षिप्त वर्णन कीजिए-

  1. अनुलेखन
  2. बहुरूपता
  3. स्थानांतरण
  4. जैव सूचना विज्ञान

उत्तर-

  1. अनुलेखन- डीएनए की एक रज्जुक से आनुवांशिक सूचनाओं का आरएनए में प्रतिलिपीकरण करने की प्रक्रिया को अनुलेखन कहते हैं। पूरकता का सिद्धांत अनुलेखन प्रक्रम को नियंत्रित करता है जिसमें एडिनोसिन थाइमिन की जगह पर यूरेसील के साथ क्षारयुग्म बनाता है। केवल डीएनए का एक छोटा भाग पॉलीपेप्टाइड का कूटलेखन करता है।
  2. बहुरूपता- अव्यक्तेक अनुक्रमों में उत्परिवर्तन के माध्यम से उत्पन्न होने वाले डीएनए में भिन्नता को बहुरूपता कहा जाता है। इस तरह की विभिन्नताएँ डीएनए की विशिष्ट स्थलों के लिए अद्वितीय हैं और निवेशन, विलोपन या प्रतिस्थापन के कारण हो सकती हैं। यह इलेक्ट्रोफोरेसिस द्वारा डीएनए खंडों द्वारा पृथक्करण करके प्राप्त किया जा सकता है। डीएनए अनुक्रम में मिलने वाली बहुरूपता डीएनए अंगुलिछापी मानव जीनोम के आनुवांशिक नक्शे तैयार करने में लाभदायक है।
  3. स्थानांतरण- स्थानांतरण वह प्रक्रिया है जिसमें एमीनो अम्लों के बहुकलन से पॉलीपेप्टाइड का निर्माण होता है। एमीनो अम्लों के क्रम व अनुक्रम दूत आरएनए में पाए जाने वाले क्षारो के अनुक्रम पर निर्भर करता है। 

जैव सूचना विज्ञान- यह कम्प्यूटर विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग होता है, जो प्रबंधन, जीनोमीक्स की बड़ी सूचनाओं को संशोधित करने, सूचना प्रसंस्करण, आँकड़ों का विश्लेषण करने और नए ज्ञान का निर्माण करने के साथ काम करता है।

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