Class 12 Biology Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम Question Answer in Hindi

Class 12 Biology Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम Question Answer in Hindi: कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 11: जैव प्रौद्योगिकी: सिद्धांत और प्रक्रियाएं के लिए हिंदी में विस्तृत प्रश्न-उत्तर चर्चा का अन्वेषण करें। अपनी शंकाओं का समाधान करें।

Class 12 Biology Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धांत व प्रक्रम Question Answer in Hindi

अभ्यास (पृष्ठ संख्या 225-226)

प्रश्न 1 क्या आप दस पुनर्योगज प्रोटीन के बारे में बता सकते हैं जो चिकित्सीय व्यवहार के काम में लाये जाते हैं? पता लगाइये कि वे चिकित्सीय औषधि के रूप में कहाँ प्रयोग किये जाते हैं?

उत्तर- पुनर्योगज प्रोटीन पुनर्योगज डीएनए तकनीक से प्राप्त किया जाता है। किसी जीव से वांछित जीनों का विलगन, क्लोनन तथा किसी अन्य जीव में उनका स्थानन एवं अभिव्यक्ति पुनर्योगज डीएनए तकनीक कहलाता है।

पुनर्योगज प्रोटीन जो चिकित्सीय व्यवहार के काम में लाए जाते हैं:

  1. इंसुलिन: इसका प्रयोग मधुमेह के इलाज में किया जाता है।
  2. इंटरफेरॉन−α: इसका प्रयोग क्रोनिक हेपेटाइटिस सी के लिए किया जाता है।
  3. इंटरफेरॉन: दाद और वायरल आंत्रशोथ के लिए प्रयोग किया जाता है।
  4. जमावट कारक vii (Coagulation factor vii): हीमोफीलिया A(haemophilia A) के उपचार में प्रयुक्त होता है।
  5. जमावट कारक ix (Coagulation factor ix): हीमोफीलिया B(haemophilia B) के उपचार में प्रयुक्त होता है।
  6. एंटी-थ्रोम्बिन III (Anti-thrombin III): इसका उपयोग रक्त थक्कारोध के लिया जाता है।
  7. DNAase I: इसका उपयोग सिस्टिक फाइब्रोसिस के उपचार में होता है।
  8.  इंटरफेरॉन−β: मल्टीपल स्केलेरोसिस के उपचार में इसका उपयोग होता है।
  9. मानव पुनर्योगज वृद्धि हॉर्मोन: व्यक्ति में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
  10. ऊतक प्लाज्मिनोजन सक्रियक: इसका उपयोग तीव्र रोधगलन (heart attack) के उपचार में होता है।

प्रश्न 2 एक सचित्र (चार्ट) (आरेखित निरूपण के साथ) बनाइए जो प्रतिबन्धन एन्जाइम को (जिस क्रियाधार डीएनए पर यह कार्य करता है उसे), उन स्थलों को जहाँ यह डीएनए को काटता है व इनसे उत्पन्न उत्पाद को दर्शाता है।

उत्तर-

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प्रश्न 3 कक्षा ग्यारहवीं में जो आप पढ़ चुके हैं, उसके आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि आण्विक आकार के आधार पर एन्जाइम बड़े हैं या डीएनए। आप इसके बारे में कैसे पता लगाएँगे?

उत्तर- एन्जाइम्स (enzymes) प्रोटीन्स होते हैं। प्रोटीन्स अणु अत्यधिक जटिल संरचना वाले वृहदाणु होते हैं। इनका निर्माण ऐमीनो अम्लों से होता है। प्रकृति में लगभग 300 प्रकार के ऐमीनो अम्ल पाए जाते हैं, किन्तु इनमें से केवल 20 ऐमीनो अम्ल ही जन्तु एवं पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं। ऐमीनो अम्ल श्रृंखलाबद्ध होकर परस्पर पेप्टाइड बन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। प्रत्येक प्रोटीन अणु की पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में ऐमीनो अम्लों का क्रम विशिष्ट प्रकार का होता है। प्रोटीन्स का आण्विक भार बहुत अधिक होता है। विभिन्न ऐमीनो अम्ल से बनने वाली प्रोटीन्स विभिन्न प्रकार की होती हैं। हमारे शरीर में लगभग 50,000 प्रकार की प्रोटीन्स पायी जाती हैं। डीएनए के जैविक-वृहदाणु (biological macromolecules) जटिल संरचना वाले होते हैं। ये प्रोटीन्स (एन्जाइम) से भी बड़े जैविक गुरुअणु होते हैं। इनका अणुभार 106 से 109 डाल्टन तक होता है। डीएनए अणु पॉलिन्यूक्लिओटाइड श्रृंखला से बना होता है। डीएनए से कम अणुभार वाले m-RNA, t-RNA तथा r-RNA का निर्माण होता है। आरएनए प्रोटीन संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आरएनए संश्लेषण हेतु डीएनए अणु विभिन्न स्थान पर द्विगुणित होकर छोटी-छोटी अनुपूरक श्रृंखलाएँ अर्थात् राइबोन्यूक्लिओटाइड अम्ल का एक छोटा अणु बनाती हैं। इन्हें प्रवेशक (primers) कहते हैं। आरएनए प्रवेशकों के संश्लेषण का उत्प्रेरण आरएनए पॉलिमरेज (RNA polymerase) एन्जाइम करत है। आरएनए अणु प्रोटीन संश्लेषण के काम आते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि डीएनए अणु प्रोटीन्स (एन्जाइम्स) से भी बड़े अणु होते हैं।

प्रश्न 4 मानव की एक कोशिका में DNA की मोलर सान्द्रता क्या होगी? अपने अध्यापक से परामर्श लीजिये।

उत्तर- मानव की द्विगुणित कोशिका में डीएनए की मोलर सांद्रता निम्नलिखित है:

⇒ क्रोमोसोम की कुल संख्या × 6.023 × 1023

⇒ 46 × 6.023 × 1023

⇒ 2.77 × 1023 मोल्स

इस प्रकार मानव की एक कोशिका में डीएनए की मोलर सांद्रता 2.77 × 1023 मोल्स होगी।

प्रश्न 5 क्या सुकेंद्रकी कोशिकाओं में प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज मिलते हैं? अपना उत्तर सही सिद्ध कीजिये।

उत्तर- हाँ, सुकेंद्रकी कोशिकाओं में प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज मिलते हैं। प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज DNA अनुक्रम की लम्बाई के निरीक्षण के बाद कार्य करता है। जब यह अपना विशिष्ट पहचान अनुक्रम पा जाता है तब DNA से जुड़ता है तथा द्विकुंडलिनी की दोनों लड़ियों को शर्करा-फॉस्फेट आधार स्तंभों में विशिष्ट केन्द्रों पर काटता है। प्रत्येक प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज DNA में विशिष्ट पैसिंड्रोमिक न्यूक्लियोटाइड अनुक्रमों को पहचानता है।

प्रश्न 6 अच्छी हवा व मिश्रण विशेषता के अतिरिक्त कौन-सी अन्य कंपन फ्लास्क सुविधाएँ हैं?

उत्तर- कंपन्न फ्लास्क विधि प्रयोगशाला में एक छोटे पैमाने पर जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के उत्पादन के लिए उपयोग की जाती है जबकि बिलोडन हौज बायोरियेक्टर का प्रयोग बड़े पैमाने पर जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिए किया जाता है| 

कंपन्न फ्लास्क की तुलना में बिलोडन हौज बायोरियेक्टर के निम्नलिखित लाभ हैं:

  1. परीक्षण के लिए रिएक्टर से संवर्धन का छोटा आयतन लिया जा सकता है।
  2. झाग को नियंत्रित करने के लिए झाग-नियंत्रक तंत्र लगा होता है।
  3. इसकी एक नियंत्रण प्रणाली है जो तापमान और पीएच नियंत्रित करती है।

प्रश्न 7 शिक्षक से परामर्श कर पाँच पैलिंड्रोमिक अनुप्रयास करें तथा क्षारक-युग्म नियमों का पालन करते हुये पैलिंड्रोमिक अनुक्रम बनाने के उदाहरण का पता लगाइये।

उत्तर- पैलिंड्रोमिक अनुक्रम बनाने के उदाहरण का पता लगाइये।

पैलिंड्रोमिक अनुक्रम डीएनए में पैलिंड्रोमिक क्षारक युग्मों का एक ऐसा अनुक्रम होता है, जो पढ़ने के अभिविन्यास को समान रखने पर दोनों लड़ियों में एक जैसे पढ़ा जाता है।

उदाहरणार्थ- निम्न अनुक्रमों को ‘5 → 3’ दिशा में पढ़ने पर दोनों लड़ियों में एक जैसा पढ़ा जाएगा।

अधिकतर प्रतिबंधन एंजाइम पैलिंड्रोमिक अनुक्रम होते हैं।

पैलिंड्रोमिक अनुक्रम के पाँच उदाहरण:

  1. 5’- ए जी सी टी -3’

3’- टी सी जी ए -5’

  1. 5’- जी ए टी टी सी -3’

3’- सी टी टी ए जी -5’

  1. 5’- ए ए जी सी टी टी -3’

3’- टी टी सी जी ए ए -5’

  1. 5’- जी टी सी जी ए सी -3’

3’- सी ए जी सी टी जी -5’

  1. 5’- सी टी जी सी ए जी -3’

3’- जी ए सी जी टी सी -5’

प्रश्न 8 अर्द्धसूत्री विभाजन को ध्यान में रखते हुए क्या बता सकते हैं कि पुनर्योगज डी०एन०ए० किस अवस्था में बनते हैं?

उत्तर- अर्द्धसूत्री विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या घटकर आधी रह जाती है। प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन में प्रत्येक जोड़ी के समजात गुणसूत्रों के मध्य एक या अनेक खण्डों की अदला-बदली अर्थात् पारगमन (crossing over) होता है। प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रथम पूर्वावस्था (Ist prophase) की उपअवस्था जाइगोटीन (zygotene) में समजात गुणसूत्र जोड़े बनाते हैं। इस प्रक्रिया को सूत्रयुग्मन (synapsis) कहते हैं। पैकिटीन (pachytene) उपअवस्था में सूत्रयुग्मक सम्मिश्र (synaptonemal complex) में एक या अधिक स्थानों पर गोल सूक्ष्म घुण्डियाँ दिखाई देने लगती हैं, इन्हें पुनर्संयोजन घुण्डियाँ (recombination nodules) कहते हैं। समजात गुणसूत्रों के परस्पर जुड़े क्रोमैटिड्स (chromatids) के मध्य एक या अधिक खण्डों की पारस्परिक अदला-बदली को पारगमन कहते हैं। इससे समजात पुनसँयोजित डीएनए (recombinant DNA) बन जाता है। पुनर्संयोजन घुण्डियाँ उन स्थानों पर बनती हैं जहाँ पर पारगमन हेतु क्रोमैटिड्स के टुकड़े टूटकर पुनः जुड़ते हैं।

प्रश्न 9 क्या आप बता सकते हैं कि प्रतिवेदक (रिपोर्टर) एंजाइम को वरणयोग्य चिह्न की उपस्थिति में बाहरी DNA को परपोषी कोशिकाओं में स्थानान्तरण के लिये मॉनीटर करने के लिये किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है?

उत्तर- एक प्रतिवेदक (रिपोर्टर) जीन का उपयोग बाहरी डीएनए द्वारा परपोषी कोशिकाओं के स्थानांतरण के लिए मॉनिटर करने के लिए किया जा सकता है। वे यह निर्धारित करने के लिए वरण योग्य चिन्ह के रूप में कार्य करते हैं कि परपोषी कोशिकाओं ने बाहरी डीएनए का स्थान ले लिया है, या बाहरी जीन को कोशिकाओं में व्यक्त किया जाता है या नहीं। शोधकर्ता एक ही डीएनए निर्माण में प्रतिवेदक जीन और बाहरी जीन को स्थान देते हैं। फिर, इस निर्मित संयुक्त डीएनए को कोशिकाओं में प्रवेश कराया जाता है। फिर, प्रतिवेदक जीन को अभिरूचि के जीनों के सफल रूप से पता लगाने के लिए एक वरण योग्य चिन्ह के रूप में उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 10 निम्नलिखित का संक्षिप्त वर्णन कीजिये:

  1. प्रतिकृतीयन का उद्भव
  2. बायोरिएक्टर
  3. अनुप्रवाह संसाधन

उत्तर-

  1. प्रतिकृतियन का उद्भव– यह वह अनुक्रम है, जहाँ से प्रतिकृतियन की शुरूआत होती है। जब बाहरी DNA का कोई खंड इस अनुक्रम से जुड़ जाता है तब प्रतिकृति कर सकता है। एक प्रोकैरियोटिक DNA में सामान्यतया एक प्रतिकृतियन स्थल होता है जबकि यूकैरियोटिक DNA में एक से अधिक प्रतिकृतियन स्थल होते हैं।
  2. बायोरिएक्टर– बायोरिएक्टर एक बर्तन के समान है, जिसमें सूक्ष्मजीवों, पौधों, जन्तुओं एवं मानव कोशिकाओं का उपयोग करते हुये कच्चे माल को जैव रूप से विशिष्ट उत्पादों व्यष्टि एंजाइम आदि में परिवर्तित किया जाता है। वांछित उत्पाद पाने के लिये जीव-प्रतिकारक अनुकूलतम परिस्थितियाँ, जैसे-तापमान, pH, क्रियाधार, विटामिन, लवण, ऑक्सीजन आदि उपलब्ध कराता है। सामान्यतया सर्वाधिक उपयोग में लाया जाने वाला बायोरिएक्टर विडोलन (स्टिरिंग) प्रकार का है। विडोलित हौज रिएक्टर सामान्यतया बेलनाकार होते हैं या इसमें घुमावदार आधार होता है। जिससे रिएक्टर के अंदर की सामग्री को मिश्रण में सहायता मिलती है। विडोलक प्रतिकारक के अंदर की सामग्री को मिश्रित करने के साथ-साथ प्रतिकारक में सभी जगह ऑक्सीजन की उपलब्धता भी कराते हैं। प्रत्येक जीव-प्रतिकारक रिएक्टर में एक प्रक्षोभक यन्त्र होता है। इसके अतिरिक्त उसमें ऑक्सीजन-प्रदाय यंत्र, झाग- नियन्त्रण यन्त्र, तापक्रम नियन्त्रण यन्त्र, pH होता है। प्रतिक्रिया नियन्त्रण तंत्र तथा प्रतिचयन द्वारा होता है जिससे समय-समय पर संवर्धित उत्पाद की थोड़ी मात्रा निकाली जा सकती है।
  3. अनुप्रवाह संसाधन– जैव प्रौद्योगिकी द्वारा तैयार उत्पाद को बाजार में भेजने से पूर्व उसे कई प्रक्रमों से गुजारा जाता है। इन प्रक्रमों में पृथक्करण एवं शोधन सम्मिलित है और इसे सामूहिक रूप से अनुप्रवाह संसाधन कहते हैं। उत्पाद को उचित परिरक्षक के साथ संरूपित किया जाता है। औषधि के मामले में ऐसे संरूपण को चिकित्सीय परीक्षण से गुजारते हैं। प्रत्येक उत्पाद के लिये सुनिश्चित गुणवत्ता नियन्त्रण परीक्षण की भी आवश्यकता होती है। अनुप्रवाह संसाधन एवं गुणवत्ता नियन्त्रक परीक्षण अलग-अलग उत्पाद के लिये भिन्न-भिन्न होता है।

प्रश्न 11 संक्षेप में बताइये:

  1. PCR
  2. प्रतिबंधन एंजाइम और DNA
  3. काइटिनेज

उत्तर- PCR (Polymerase Chain Reaction)– PCR का अर्थ पॉलीमरेज चेन रिऐक्शन (पॉलीमरेज श्रृंखला अभिक्रिया) है। इस विधि द्वारा कम समय में जीन की कई प्रतिकृतियों का संश्लेषण किया जाता है। इस कार्य के लिये एक विशेष उपकरण थर्मल साइक्लर का उपयोग किया जाता है।

PCR चक्र में मुख्य रूप से तीन चरण होते हैं:

  • निष्क्रियकरण।
  • तापानुशीलन।
  • विस्तार।

निष्क्रियकरण में DNA को 92°C पर 1 मिनट तक थर्मल साइक्लर में गर्म किया जाता है जिससे उसके दोनों स्टैंड अलग हो जाते हैं। तापानुशीलन में अभिक्रिया मिश्रण के तापक्रम को घटाया जाता है। यह सामान्यतया 48°C रहता है। इसे इस तापक्रम पर भी 1 मिनट के लिये रखा जाता है। इसके बाद विस्तार किया जाता है जो 27°C पर 1 मिनट के लिये होता है। इस चक्र को 34–37 बार दुहराया जाता है। इस प्रक्रम द्वारा DNA खंड को एक अरब गुणा तक प्रवर्धित किया जा सकता है। पॉलिमरेज श्रृंखला अभिक्रया में DNA खंड के अतिरिक्त उपक्रमकों, एंजाइम टैंक, DNA पॉलीमरेज, मैग्नीशियम क्लोराइड, डाइमेथाइल सल्फॉक्साइड की आवश्यकता पड़ती है। उपक्रमकों (प्राइमर्स) को दो समुच्चयों की आवश्यकता पड़ती है–एक 5′ से 3′ की ओर जाने के लिये तथा एक 3′ व 5′ की ओर जाने के लिए। प्राइमर्स छोटे रासायनिक संश्लेषित अल्प न्यूक्लियोटाइड हैं जो DNA क्षेत्र के पूरक होते हैं।

PCR के उपयोग इस प्रकार हैं:

  • रोगाणुओं की पहचान में।
  • विशिष्ट उत्परिवर्तन को पहचानने में।
  • DNA फिंगर प्रिटिंग में।
  • पादप रोगाणुओं का पता लगाने में।
  • विलुप्त जीवों तथा मनुष्यों के ममी अवशेष से DNA खंड के क्लोनिंग में।

प्रश्न 12 अपने अध्यापक से चर्चा करके पता लगाइये कि निम्नलिखित के बीच कैसे भेद करेंगे-

  1. प्लाज्मिड DNA तथा गुणसूत्रीय DNA
  2. आरएनए और डीएनए
  3. एक्सोन्यूक्लियेज और एंडोन्यूक्लियेज

उत्तर-

  1. प्लाज्मिड DNA तथा गुणसूत्रीय DNA-

प्लाज्मिड DNA:

प्लाज्मिड अतिरिक्त गुणसूत्रीय रचनाएँ होती हैं जो जीवाणुओं के अन्दर स्वतः गुणित होती रहती है। इनका DNA दो सूत्रों का बना, प्रायः गोलाकार (Circular) होता है। इन पर अन्य जीनों के अतिरिक्त प्लाज्मिड की प्रतिकृति करने वाले जीन भी पाये जाते हैं। पुनर्योगज DNA तकनीक में प्रयुक्त प्लाज्मिड में प्रतिजैविक रोधिता वाले जीन भी होते हैं जिनसे पुनर्योगज DNA अणुओं की पहचान सम्भव हो पाती है।

गुणसूत्रीय DNA:

गुणसूत्रों में उपस्थित DNA गुणसूत्रीय DNA होता है। यह भी दो सूत्रों का होता है परन्तु गोलाकार नहीं होता तथा कोशिका के केन्द्रक में होता है। इसमें प्रतिजैविक रोधिता वाले जीन नहीं होते हैं । यह प्लाज्मिड DNA की तुलना में अधिक लम्बा तथा अधिक न्यूक्लियोटाइड युक्त होता है।

  1. आरएनए और डीएनए-

 आरएनएडीएनए1.आरएनए एक लड़ी वाले अणु होते हैं।डीएनए द्विलड़ीय अणु होते हैं।2.इसमें राइबोज शर्करा होता है।इसमें डिऑक्सीराइबोज शर्करा शामिल होते हैं।3.आरएनए में स्वयं प्रतिकृति करने की क्षमता नहीं होती है।डीएनए अणुओं में प्रतिकृति की क्षमता होती है।4.यह राइबोसोम का एक घटक है।यह गुणसूत्र का एक घटक है।
  1. एक्सोन्यूक्लियेज और एंडोन्यूक्लियेज-
एक्सोन्यूक्लियेजएंडोन्यूक्लियेज
यह प्रतिबंधन एंजाइम का एक प्रकार है जो न्यूक्लियोटाइड को डीएनए अणु के 5 ‘या 3’ छोर से काटता है।यह एक प्रकार का प्रतिबंधन एंजाइम है जो डीएनए को भीतर विशिष्ट स्थलों पर काटते हैं।

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