Class 12 Biology Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्म जीव Question Answer in Hindi

Class 12 Biology Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्म जीव Question Answer in Hindi: कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 10: मानव कल्याण में सूक्ष्म जीव के लिए हिंदी में विस्तृत प्रश्न-उत्तर चर्चा का अन्वेषण करें। अपनी शंकाओं का समाधान करें और अपनी समझ को प्रभावी ढंग से बढ़ाएं।

Class 12 Biology Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्म जीव Question Answer in Hindi

अभ्यास (पृष्ठ संख्या 208-209)

प्रश्न 1 जीवाणुओं को नग्न आँखों द्वारा नहीं देखा जा सकता, परन्तु सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है। यदि आपको अपने घर से अपनी जीव विज्ञान प्रयोगशाला तक एक नमूना ले जाना हो और सूक्ष्मदर्शी की सहायता से इस नमूने से सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति को प्रदर्शित करना हो तो किस प्रकार का नमूना आप अपने साथ ले जाएँगे और क्यों?

उत्तर- सूक्ष्मजीवों के अध्ययन के लिए दही के नमूने को लिया जा सकता है। दही में लैक्टोबैसिलस या लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया होते हैं, जो दुग्ध प्रोटीन को स्कंदित तथा आंशिक रूप में पचा देता है।

दही की थोड़ी-सी मात्रा को जीव विज्ञान प्रयोगशाला में ले जाया जाता है।क्योंकि इसमें लाखों करोड़ों की संख्या में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया होते हैं जो उपयुक्त ताप पर कई गुणा वृद्धि करते हैं और इन्हें आसानी से सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है।

प्रश्न 2 उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव गैसों का निष्कासन करते हैं; उदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए।

उत्तर- चावल, आटा, दाल का बना नरम-नरम आटा जिसका प्रयोग डोसा व इडली बनाने में होता है। जीवाणु द्वारा किण्वित होता है। इस आटे का फूला हुआ दिखना CO2 के उत्पादन के कारण होता है।

Class 12 Biology Chapter 10 Question Answer in Hindi

इसी तरह ब्रैड का सना हुआ आटा यीस्ट द्वारा किण्वित होता है।

प्रश्न 3 किस भोजन (आहार) में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया मिलते हैं? इनके कुछ लाभप्रद उपयोगों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- दही में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया मिलते हैं।

इनके कुछ लाभप्रद उपयोग हैं-

  1. यह एक बैक्टीरियम है जो दूध से दही के निर्माण को बढ़ावा देता है।
  2. बैक्टीरियम गुणित होते हैं तथा संख्या में वृद्धि करते हैं, जिसके कारण दही का निर्माण होता है।
  3. विटामिन बी 12 की मात्रा बढ़ने से पोषण संबंधी गुणवत्ता में भी सुधार हो जाता है।
  4. हमारे पेट में भी सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न होने वाले रोगों को रोकने में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया एक लाभदायक भूमिका का निर्वाह करते हैं।

प्रश्न 4 कुछ पारम्परिक भारतीय आहार जो गेहूं, चावल तथा चना (अथवा उनके उत्पाद) से बनते हैं और उनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग शामिल हो, उनके नाम बताइए।

उत्तर- गेहूं, चावल तथा चना (अथवा उनके उत्पाद) से सूक्ष्मजीवों का प्रयोग करके भटूरा (गेहुँ से), डोसा व इडली (चावल व उड़द की दाल) इत्यादि से बनते हैं।

प्रश्न 5 हानिप्रद जीवाणु द्वारा उत्पन्न करने वाले रोगों के नियन्त्रण में किस प्रकार सूक्ष्मजीव महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?

उत्तर-

  1. कुछ सूक्ष्मजीवों का प्रयोग दवा बनाने में किया जाता है। प्रतिजैविक एक प्रकार के रासायनिक पदार्थ हैं, जिनका निर्माण कुछ सूक्ष्मजीवियों द्वारा होता है। यह अन्य रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवियों को मार सकते हैं।
  2. इन दवाइयों को सामान्यतः जीवाणु अथवा कवक से प्राप्त किया जाता है जो रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों के वृद्धि को रोक सकते हैं अथवा उन्हें मार सकते हैं।
  3. प्लेग, काली खाँसी, डिप्थीरिया, लैप्रोसी (कुष्ठ रोग) जैसे रोगों के उपचाए के लिए इन प्रतिजैविकों का उपयोग किया जाता है।
  4. पैनिसिलीन, पैनीसीलियम नोटेटम नामक मोल्ड से उत्पन्न होता है, जो शरीर में स्टैफिलोकोकस की वृद्धि की जाँच करता है।
  5. प्रतिजैविकों को बैक्टीरिया के कोशिका भित्ति को कमजोर करके नष्ट करने के लिए तैयार किया गया है। इसके कमजोर होने के फलस्वरूप, श्वेत रक्त कोशिकाएँ जैसी कुछ प्रतिरक्षा कोशिकाएँ कोशिका में प्रवेश करती हैं तथा कोशिका विश्लेषण करती है। कोशिका विश्लेषण रक्त कोशिकाओं और बैक्टीरिया जैसे कोशिकाओं को नष्ट करने की प्रक्रिया है।

प्रश्न 6 किन्हीं दो कवक प्रजातियों के नाम लिखिए, जिनका प्रयोग प्रतिजैविकों (एंटीबायोटिक्स) के उत्पादन में किया जाता है।

उत्तर-

  1. रैमाइसिन को म्यूकर रैमोनियास नामक कवक से।
  2. पेनिसिलिन को पेनिसिलियम नोटेटम नामक कवक से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 7 वाहित मल से आप क्या समझते हैं? वाहित मल हमारे लिए किस प्रकार से हानिप्रद है?

उत्तर- नगर के व्यर्थ जल, जिन्हें नालियों में विसर्जित किया जाता है, वाहितमल कहलाता है। इसमें कार्बनिक पदार्थों की बड़ी मात्रा तथा सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं जो अधिकांशतः रोगजनकीय होते हैं। यह जल-प्रदूषण तथा जल-जनित रोगों का प्रमुख कारक है। इसलिए यह जरूरी है कि विसर्जन से पूर्व वाहितमल का उपचार वाहितमल संयंत्र में किया जाए ताकि वह प्रदूषण मुक्त हो जाए।

प्रश्न 8 प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहित मल उपचार के बीच पाए जाने वाले मुख्य अन्तर कौन-से हैं?

उत्तर- वाहित मल का उपचार वाहित मल संयन्त्र में किया जाता है जिससे यह प्रदूषण मुक्त हो सके। यह उपचार दो चरणों में सम्पन्न होता है-

  1. प्राथमिक उपचार (Primary treatment)- प्राथमिक उपचार में मुख्यत: बड़े-छोटे कणों को भौतिक क्रियाओं जैसे- अवसादन (sedimentation), निस्यंदन (filtration), प्लवन आदि द्वारा अलग किया जाता है। सबसे पहले तैरते हुए कूड़े-करकट को नियंदन द्वारा हटा दिया जाता है। इसके बाद ग्रिट (grit) मृदा तथा छोटे कणों को अवसादन द्वारा पृथक् किया जाता है। बारीक कण प्राथमिक स्लज (primary sludge) के रूप में नीचे बैठ जाते हैं और प्लावी बहिःस्राव (supernatant effluent) का निर्माण होता है। बहि:स्राव को प्राथमिक उपचार टैंक से द्वितीयक उपचार के लिए ले जाया जाता है।
  2. द्वितीयक उपचार (Secondary treatment)- द्वितीयक उपचार में सूक्ष्मजीवधारियों का उपयोग किया जाता है। जैसे-ऑक्सीकरण ताल एक उथला जलाशय होता है जिसमें वाहित मल एकत्रित किया जाता है। इसमें कार्बनिक पदार्थ अधिक होने के कारण शैवाल और जीवाणुओं की अच्छी वृद्धि होने लगती है।

जीवाणु अपघटन करते हैं और शैवाल उनसे उत्पन्न कार्बन डाइ ऑक्साइड का प्रकाश संश्लेषण में उपयोग करते हैं। प्रकाश संश्लेषण में विमोचित ऑक्सीजन जल को दूषित होने से बचाती है। इस प्रकार ऑक्सीकरण ताल, शैवाल और जीवाणुओं के बीच सहजीविता का उदाहरण है। ऑक्सीजन ताल में होने वाली क्रियाओं द्वारा संक्रामक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के पश्चात् केवल नुकसान न देने वाले पदार्थ ही रह जाते हैं। द्वितीयक उपचार के पश्चात् प्लान्ट से बहि:स्राव सामान्यत: जल के प्राकृतिक स्रोतों जैसे-नदियों, झरनों आदि में छोड़ दिया जाता है अथवा तृतीयक उपचार हेतु रासायनिक क्रियाविधियों द्वारा इससे नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस लवणों को पृथक् करने के पश्चात् बहि:स्राव को जलाशयों में मुक्त कर दिया जाती है।

प्रश्न 9 क्या सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है? यदि हाँ, तो किस प्रकार से? इस पर विचार करें।

उत्तर- हाँ, सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है। जीवाणु जैसे मीथैनोबैक्टीरियम का उपयोग गोबर गैस अथवा बायोगैस पैदा करने में किया जाता है।

  1. बायोगैस संयंत्र एक टैंक (10-15 फीट गहरा) होता है; जिसमें अपशिष्ट संग्रहित एवं गोबर की कर्दम भरी जाती है।
  2. कर्दम के ऊपर एक सचल ढक्कन रखा जाता है सूक्ष्मजीवी सक्रियता के कारण टैंक में गैस बनती है, जिससे ढक्कन ऊपर को उठता है।
  3. बायोगैस संयंत्र में एक निकास होता है जो एक पाइप से जुड़ा रहता है| इसी पाइप की सहायता से आस-पास के घरों में बायोगैस की आपूर्ति की जाती है।
  4. उपयोग की गई कर्दम दूसरे निकास द्वार से बाहर निकाल दी जाती है जिसका प्रयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 10 सूक्ष्मजीवों का प्रयोग रसायन उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों के प्रयोग को कम करने के लिए भी किया जा सकता है। यह किस प्रकार सम्पन्न होगा? व्याख्या कीजिए।

उत्तर- जैव नियन्त्रण (Bio Control)- पादप रोगों तथा पीड़कों (pests) के नियन्त्रण के लिए जैववैज्ञानिक विधि (biological methods) का प्रयोग ही जैव नियन्त्रण (bio control) है। आधुनिक समाज में ये समस्याएँ रसायनों, कीटनाशियों तथा पीड़कनाशियों के बढ़ते हुए प्रयोगों की सहायता से नियन्त्रित की जाती हैं। ये रसायन मनुष्यों तथा जीव-जन्तुओं के लिए अत्यन्त ही विषैले तथा हानिकारक होते हैं। विषाक्त रसायन खाद्य श्रृंखला के माध्यम से जीवधारियों के शरीर में पहुंचते हैं। ये पर्यावरण को भी प्रदूषित करते हैं।

जैव उर्वरक के रूप में सूक्ष्मजीव (Microbes as biofertilizers)- जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं। लेग्यूमिनस पादपों की जड़ों पर उपस्थित ग्रंथियों का निर्माण राइजोबियम (Rhizobium) जीवाणु के सहजीवी सम्बन्ध द्वारा होता है। ये जीवाणु वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित करते हैं। मृदा में मुक्तावस्था में रहने वाले अन्य जीवाणु जैसे-एजोस्पाइरिलम (Azospirilum) तथा एजोटोबैक्टर (Azotobacter) भी वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर मृदा में नाइट्रोजन अवयव की मात्रा को बढ़ाते हैं।

कवक अनेक पादपों के साथ सहजीवी सम्बन्ध स्थापित करते हैं। इस सम्बन्ध को माईकोराइजा (Mycorrhiza) कहते हैं। ग्लोमस (Glomus) जीनस के बहुत-से कवक सदस्य माइकोराइजा बनाते हैं। इस सम्बन्ध में कवकीय सहजीवी मृदा से जल एवं पोषक तत्वों का अवशोषण कर पादपों को प्रदान करते हैं और पादपों से भोजन प्राप्त करते हैं।

सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) स्वपोषित सूक्ष्मजीव हैं जो जलीय तथा स्थलीय वायुमण्डल में विस्तृत रूप से पाए जाते हैं। इनमें से अधिकांश वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को नाइट्रोजन यौगिकों के रूप में स्थिर करके मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं। जैसे-ऐनाबीना (Anabaena), नॉस्टॉक (Nostoc) आदि। धान के खेत में सायनोबैक्टीरिया महत्त्वपूर्ण जैव उर्वरक की भूमिका निभाते हैं।

पीड़क तथा रोगों का जैव नियन्त्रण (Biological Control of Pests & Diseases)- जैव नियन्त्रण विधि से विषाक्त रसायन तथा पीड़कनाशियों पर हमारी निर्भरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है। बैक्टीरिया बैसीलस थूरिनजिएन्सिस (Bacillus thuringiensis) को प्रयोग बटरफ्लाई कैटरपिलर नियन्त्रण में किया जाता है। पिछले दशक में आनुवंशिक अभियान्त्रिकी की सहायता से वैज्ञानिक बैसीलस थूरिनजिएन्सिस टॉक्सिन जीन को पादपों में पहुँचा सके हैं। ऐसे पादप पीड़के द्वारा किए गए आक्रमण के प्रति प्रतिरोधी होते हैं। Bt-कॉटन इसका एक उदाहरण है जिसे हमारे देश के कुछ राज्यों में उगाया जाता है। ड्रेगनफ्लाई (dragonflies), मच्छर और ऐफिड्स (aphids) आदि Bt-कॉटन को क्षति नहीं पहुंचा पाते।

जैव वैज्ञानिक नियन्त्रण के तहत कवक ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) का उपयोग पादप रोगों के उपचार में किया जाता है। यह बहुत-से पादप रोगजनकों का प्रभावशील जैव नियन्त्रण कारक है। बेक्यूलोवायरसिस (Baculoviruses) ऐसे रोगजनक हैं जो कीटों तथा सन्धिपादों (आर्थोपोड्स) पर हमला करते हैं। अधिकांश बैक्यूलोवायरसिस जो जैव वैज्ञानिक नियन्त्रण कारकों की तरह प्रयोग किए जाते हैं, वे न्यूक्लिओपॉलिहीड्रोवायरस (nucleopolyhedrovirus) प्रजाति के अन्तर्गत आते हैं। यह विषाणु प्रजाति-विशेष; सँकरे स्पेक्ट्रम कीटनाशीय उपचारों के लिए अति उत्तम मानी जाती हैं।

प्रश्न 11 जल के तीन नमूने लो, एक-नदी का जल, दूसरा-अनुपचारित वाहितमल जल तथा तीसरा-वाहितमल उपचार संयन्त्र से निकला द्वितीयक बहिःस्राव; इन तीनों नमूनों पर ‘अ, ‘ब, ‘स’ के लेबल लगाओ। इस बारे में प्रयोगशाला कर्मचारी को पता नहीं है कि कौन-सा क्या है? इन तीनों नमूनों ‘अ, ‘ब’, ‘स’ का बी०ओ०डी० रिकॉर्ड किया गया जो क्रमशः 20 mg/ L, 8 mg/ L तथा 400 mg/ L निकाला। इन नमूनों में कौन-सा सबसे अधिक प्रदूषित नमूना है? इस तथ्य को सामने रखते हुए कि नदी का जल अपेक्षाकृत अधिक स्वच्छ है। क्या आप सही लेबल का प्रयोग कर सकते हैं?

उत्तर-

  • नमूना ‘अ’- (बीओडी 20 mg/ L) वाहितमल उपचार संयंत्र से निकला द्वितीयक बहिःस्राव है।
  • नमूना ‘ब’- (बीओडी 8 mg/ L) नदी का जल है।
  • नमूना ‘स’- (बीओडी 400 mg/ L) अनुपचारित वाहितमल जल है।

चूँकि बीओडी जल में मौजूद कार्बनिक पदार्थ का प्रत्यक्ष माप है, इसलिए बीओडी जितना अधिक है, जल उतना ही अधिक प्रदूषित है।

प्रश्न 12 उन सूक्ष्मजीवों के नाम बताओ जिनसे साइक्लोस्पोरिन-ए (प्रतिरक्षा निषेधात्मक औषधि) तथा स्टैटिन (रक्त कोलिस्ट्रॉल लघुकरण कारक) को प्राप्त किया जाता है।

उत्तर-

  1. साइक्लोस्पोरिन-ए का उत्पादन ट्राइकोडर्मा पॉलोस्पोरम नामक कवक से किया जाता है।
  2. स्टैटिन (लोभास्टैटिन) का उत्पादन मोनॉस्कस परफ्यूरीअस से किया जाता है।

प्रश्न 13 निम्नलिखित में सूक्ष्मजीवियों की भूमिका का पता लगाएँ तथा अपने अध्यापक से इनके विषय में विचार-विमर्श करें।

  1. एकल कोशिका प्रोटीन (SCP)
  2. मृदा

उत्तर- 

  1. एकल कोशिका प्रोटीन (एससीपी)- हानिरहित सूक्ष्मजीवी कोशिकाओं को संदर्भित करता है जिसका प्रयोग अच्छे प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोत के रूप में किया जा सकता है। जैसे मशरूम (एक कवक) बहुत से लोगों के द्वारा खाया जाता है तथा एथलीट्स द्वारा प्रोटीन स्रोत के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार, सूक्ष्मजीवी कोशिकाओं के अन्य रूपों को भी प्रोटीन, खनिज, वसा, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन समृद्ध भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। स्पिरुलीना और मेथिलोफिलस मिथाइलोट्रॉफ़स जैसे सूक्ष्मजीवों को औद्योगिक स्तर पर आलू के पौधों, पुआलों, गुड़, पशु खाद और वाहितमल से अपशिष्ट जल जैसे स्टार्च युक्त सामग्री पर उगाया जा रहा है। इन एकल कोशिकीय सूक्ष्मजीवों को स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  2. मृदा- मृदा उर्वरता बनाए रखने में सूक्ष्मजीव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे अपघटन की प्रक्रिया के द्वारा पोषक तत्व से समृद्ध ह्यूमस के निर्माण में सहायता करते हैं। बैक्टीरिया और साइनोबैक्टीरिया की कई प्रजातियों में वायुमंडलीय नाइट्रोजन को प्रयोग करने योग्य रूप में स्थिर करने की क्षमता होती है। राइजोबियम के सहजीवी संबंध द्वारा लैग्यूमिनस ग्रंथियों का निर्माण होता है जो पादप की जड़ों पर स्थित होते हैं। ऐजोस्पाइरिलम तथा ऐजोबैक्टर वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं जो मृदा में मुक्तावस्था में रहते हैं।

प्रश्न 14 निम्नलिखित को घटते क्रम में मानव समाज कल्याण के प्रति उनके महत्त्व के अनुसार संयोजित करें; महत्त्वपूर्ण पदार्थ को पहले रखते हुए कारणों सहित अपना उत्तर लिखें।

बायोगैस, सिट्रिक एसिड, पेनिसिलिन तथा दही।

उत्तर- 

  1. पेनिसिलिन- यह एक प्रतिजैविक है। इसका उपयोग बहुत-से जीवाणु-जनित रोगों, जैसे- सिफलिस, गठिया, डिफ्थीरिया, फेफड़े का संक्रमण आदि के उपचार में किया जाता है।
  2. बायोगैस- इसका उपयोग खाना बनाने एवं प्रकाश पैदा करने में किया जाता है। गोबर गैस निर्माण के उपरान्त उपयोग की गई गोबर की स्लरी का प्रयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है।
  3. सिट्रिक एसिड- इसका उपयोग बहुत-से भोज्य पदार्थों के परिरक्षण के रूप में किया जाता है। सिट्रिक अम्ल का उत्पादन ऐस्परजिलस नाइजर नामक कवक द्वारा किया जाता है।
  4. दही- यह एक दुग्ध उत्पाद है जिसका उपयोग हम प्रतिदिन करते हैं। लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया दूध को दही में परिवर्तित कर देते हैं।

प्रश्न 15 जैव उर्वरक किस प्रकार से मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं?

उत्तर- जैव उर्वरक एक प्रकार के जीव हैं, जो मृदा की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। जैव उर्वरकों के मुख्य स्रोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं। लैग्यूमिनस पादपों की जड़ों पर स्थित राइजोबियम के सहजीवी संबंध द्वारा ग्रंथियों का निर्माण होता है। यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित कर देते हैं। पादप इसका प्रयोग पोषकों के रूप में करते हैं। अन्य जीवाणु मृदा में मुक्तावस्था में रहते हैं। यह भी वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं। इस प्रकार मृदा में नाइट्रोजन अवयव बढ़ जाते हैं। ग्लोमस जीनस के बहुत से सदस्य माइकोराइजा बनाते हैं। कवकीय सहजीवी मृदा से फास्फोरस का अवशोषण कर उसे पादपों में भेज देते हैं। ऐसे संबंधों से युक्त पादप कई अन्य लाभ जैसे- पादप में मूलवातोढ़ रोगजनक के प्रति प्रतिरोधकता, लवणता तथा सूखे के प्रति सहनशीलता तथा कुलवृद्धि तथा विकास प्रदर्शित करते हैं। सायनोबैक्टीरिया स्वपोषित सूक्ष्मजीव हैं जो जलीय तथा स्थलीय वायुमंडल में विस्तृत रूप से पाए जाते हैं। इनमें बहुत से वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर सकते हैं, जैसे- ऐनाबीना, नॉसटॉक, ऑसिलेटोरिया आदि।

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