Class 12 Biology Chapter 1 Question Answer in Hindi: कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 1 के लिए व्यापक हिंदी प्रश्न और उत्तर समाधान प्राप्त करें। अपनी समझ में सुधार करें और परीक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करें।
Class 12 Biology Chapter 1 Question Answer in Hindi
अभ्यास (पृष्ठ संख्या 18-19)
प्रश्न 1 जीवों के लिए जनन क्यों अनिवार्य है?
उत्तर- जीवों में जनन करने का गुण पाया जाता है, संतान उत्पत्ति की छमता पायी जाती है। यह इसलिए आवश्यक है ताकि जीवो की प्रजाति नष्ट न हो यदि जीवधारी जनन नही करेंगे तो एक एक कर जीवो की प्रजातियाँ विलुप्त होती जाएगी और एक समय ऐसा आएगा कि पृथ्वी पर कोई जीवधारी शेष नही बचेगा।अपने वंश को आगे बढ़ने के लिए जीवो की उत्पत्ति अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 2 जनन की अच्छी विधि कौन-सी है और क्यों?
उत्तर- लैंगिक जनन की क्रियाविधि जनन की अच्छी विधि है क्योंकि लैंगिक जनन में नर और मादा युग्मक में युग्मन होता है जिससे जीवों में अनुवांशिक विविधताओं का विकास होता है, जिससे तनावपूर्ण पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी उत्तरजीविता का लाभ प्राप्त होता है। यह क्रमागत विकास में भी योगदान मिलता है।
प्रश्न 3 अलैगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई सन्तति को क्लोन क्यों कहा गया है?
उत्तर- आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से एक समान जीव क्लोन (clone) कहलाते हैं। अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न सन्तति आनुवंशिक व आकारिकीय रूप से अपने जनक के एकदम समान होती है, अत: इसे क्लोन कहते हैं।
प्रश्न 4 लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप बनी सन्तति के जीवित रहने के अच्छे अवसर होते हैं। क्यों? क्या यह कथन हर समय सही होता है?
उत्तर- लैंगिक जनन में नर और मादा युग्मक में युग्मन होता है, जिसमें दो अलग डीएनए के सम्मिश्रण से विविधता का जन्म होता है। यह विविधता जीवों को उत्तरजीविता के बेहतर संभावनाओं के लिए विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में अनुकूल बनाती है। यह कथन सदैव सही नहीं होता है। जनकों के रोगग्रस्त होने पर वह रोग आने वाली पीढ़ियों में स्थानान्तरित हो जाता है।
प्रश्न 5 अलैंगिक जनन द्वारा बनी सन्तति लैंगिक जनन द्वारा बनी सन्तति से किस प्रकार से भिन्न है?
उत्तर- अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न सन्तान आनुवंशिक व संरचनात्मक रूप से जनक के समान होती है अर्थात् अपने जनक का क्लोन (clone) होती है। इसके विपरीत लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न सन्तान आनुवंशिक रूप से जनक से भिन्न होती है।
प्रश्न 6 अलैंगिक तथा लैंगिक जनन के मध्य विभेद स्थापित करो। कायिक जनन को प्रारूपिक अलैंगिक जनन क्यों माना गया है?
उत्तर-
अलैंगिक जनन लैंगिक जनन1इसमें नर और मादा युग्मक में युग्मन नहीं होता है।युग्मकों का युग्मन होता है, इसलिए संतति जनकों के समरूप नहीं होते।2एकल जनक होते हैं।आमतौर पर दो जनक होते हैं।3संतति जनक के समरूप होते हैं तथा क्लोन कहलाते हैं।संतति जनक के समरूप नहीं होते हैं तथा वे एक-दूसरे से और जनक से विविधताएँ प्रदर्शित करते हैं।4यह विकास प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाता है।यह विकास प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।5यह सामान्य रूप से एकल कोशिकीय या सरल संरचना वाले जीवों में पाया जाता है।यह सामान्य रूप से उच्च स्तरीय जीवों में पाया जाता है, जिनकी जटिल संरचना होती है।6कोशिकाओं का केवल समसूत्रण कोशिका विभाजन होता है।इसमें कोशिकाओं का अर्धसूत्री तथा समसूत्रण विभाजन दोनों होता है।7जनन की दर तीव्र होती है।जनन की दर कम होती है। |
प्रश्न 7 कायिक प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं? कोई दो उपयुक्त उदाहरण दो।
उत्तर- कायिक प्रवर्धन जनन की ऐसी विधि है जिसमें पौधे के शरीर का कोई भी कायिक भाग प्रवर्धक का कार्य करता है तथा नये पौधे में विकसित हो जाता है। मातृ पौधे के कायिक अंग, जैसे-जड़, तना, पत्ती, कलिका आदि से नये पौधे का पुनर्जनन, कायिक प्रवर्धन कहलाता है।
कायिक प्रवर्धन के उदाहरण-
- अजूबा (Bryophyllum) के पौधे में पत्तियों के किनारों से पादपकाय उत्पन्न होते हैं जो मातृ पौधे से अलग होकर नये पौधे को जन्म देते हैं।
- आलू के कन्द में उपस्थित पर्वसन्धियाँ (nodes) कायिक प्रवर्धन में सहायक होती हैं। पर्वसन्धियों में कलिकाएँ स्थित होती हैं तथा प्रत्येक कलिको नये पौधे को जन्म देती है।
प्रश्न 8 व्याख्या कीजिए-
- किशोर चरण
- प्रजनक चरण
- जीर्णता चरण या जीर्णावस्था।
उत्तर-
- किशोर चरण (Juvenile phase)- सभी जीवधारी लैंगिक रूप से परिपक्व होने से पूर्व एक निश्चित अवस्था से होकर गुजरते हैं, इसके पश्चात् ही वे लैंगिक जनन कर सकते हैं। इस अवस्था को प्राणियों में किशोर चरण योन अवस्था तथा पौधों में कायिक अवस्था (vegetative phase) कहते हैं। इसकी अवधि विभिन्न जीवों में भिन्न-भिन्न होती है।
- प्रजनक चरण (Reproductive phase)- वह अवधि जिसके दौरान एक जीव लैंगिक रूप से परिपक्व होता है तथा ऐसे युग्मक उत्पन्न कर सकता है जो नए जीवों को जन्म दे सकता है, प्रजनक चरण कहलाता है।
- जीर्णता चरण या जीर्णावस्था (Senescent phase)- यह जीवन चक्र की अन्तिम अवस्था अथवा तीसरी अवस्था होती है। प्रजनन आयु की समाप्ति को जीर्णता चरण या जीर्णावस्था की प्रारम्भिक अवस्था माना जा सकता है। इस चरण में उपापचय क्रियाएँ मन्द होने लगती हैं, ऊतकों का क्षय होने लगता है तथा शरीर के अंग धीरे-धीरे कार्य करना बन्द कर देते हैं और अन्ततः जीव की मृत्यु हो जाती है। इसे वृद्धावस्था भी कहते हैं।
प्रश्न 9 अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवों ने लैगिक प्रजनन को पाया है, क्यों?
उत्तर- अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवों ने लैंगिक प्रजनन को पाया है क्योंकि यह युग्मकों में अलग-अलग आनुवांशिक के सम्मिश्रण के माध्यम से आनुवंशिक विविधताएँ लाता है तथा संतति में आनुवंशिक संरचना को बेहतर बनाता है। ये कारक प्रजातियों के अस्तित्व के लाभ दे सकते हैं और विकास में योगदान दे सकते हैं।
प्रश्न 10 व्याख्या करके बताएँ कि अर्द्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकजनन सदैव अन्तर-सम्बन्धित (अन्तर्बद्ध) होते हैं।
उत्तर- लैंगिक जनन करने वाले जीवधारियों में प्रजनन के समय अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) तथा युग्मकजनन (gametogenesis) प्रक्रियाएँ होती हैं। सामान्यतया लैंगिक जनन करने वाले जीव द्विगुणित (diploid) होते हैं। युग्मक निर्माण प्रक्रिया को युग्मकजनन (gametogenesis) कहते हैं। शुक्राणुओं के निर्माण को शुक्रजनन तथा अण्डाणुओं के निर्माण को अण्डजनन कहते हैं। इनका निर्माण क्रमशः नर तथा मादा जनदों (gonads) में होता है।
युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है, अर्थात् युग्मक अगुणित (haploid) होते हैं। युग्मकजनन प्रक्रिया अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा होती है। अतः युग्मकजनन तथा अर्द्धसूत्री विभाजन क्रियाएँ अन्तरसम्बन्धित (अन्तर्बद्ध) होती हैं। निषेचन के फलस्वरूप नर तथा मादा अगुणित युग्मक संयुग्मन द्वारा द्विगुणित युग्माणु (diploid zygote) बनाता है।द्विगुणित युग्माणु से भ्रूणीय परिवर्धन द्वारा नए जीव का विकास होता है।
प्रश्न 11 प्रत्येक पुष्पीय पादप के भाग को पहचानिए तथा लिखिए कि वह अगुणित (n) है या द्विगुणित। (2n)
- अंडाशय _________
- परागकोश ________
- अंडा (या डिंब) _________
- पराग ________
- नर युग्मक _______
- युग्मनज _________
उत्तर-
- अंडाशय द्विगुणित(2n)
- परागकोश द्विगुणित(2n)
- अंडा(या डिंब) अगुणित(n)
- पराग अगुणित(n)
- नर युग्मक अगुणित(n)
- युग्मनज द्विगुणित(2n)
प्रश्न 12 बाह्य निषेचन की व्याख्या कीजिए। इसके नुकसान बताइए।
उत्तर- बाह्य निषेचन (External Fertilization)- शुक्राणु (नरे युग्मक) तथा अण्ड (मादा युग्मक) के संयुग्मन या संलयन को निषेचन कहते हैं। इसके फलस्वरूप द्विगुणित युग्माणु (diploid zygote) का निर्माण होता है। अधिकांश शैवालों, मछलियों में और उभयचर प्राणियों में शुक्राणु (नर युग्मक) तथा अण्ड (मादा युग्मक) का संलयन शरीर से बाहर जल में होता है, इसे बाह्य निषेचन (external fertilization) कहते हैं।
बाह्य निषेचन से हानियाँ (Disadvantages of External Fertilization)-
- जीवधारियों को अत्यधिक संख्या में युग्मकों का निर्माण करना होता है जिससे निषेचन के अवसर बढ़ जाएँ अर्थात् इनमें युग्मक संलयन के अवसर कम होते हैं।
- संतति अत्यधिक संख्या में उत्पन्न होती हैं।
- संतति शिकारियों द्वारा शिकार होने की स्थिति से गुजरती है, इसके फलस्वरूप इनकी उत्तरजीविता जोखिमपूर्ण होती है अर्थात् सन्तानें कम संख्या में जीवित रह पाती हैं।
प्रश्न 13 जूस्पोर (अलैगिक चल बीजाणु) तथा युग्मनज के बीच विभेद करें।
उत्तर-
जूस्पोर (अलैंगिक जल बीजाणु)युग्मनज1यह एक अलैंगिक जनन संरचना है।यह एक लैगिक जनन संरचना है।2यह एक चलनशील अलैंगिक बीजाणु है, जो गति के लिए कशाभिका का उपयोग करता है।यह एक अचलनशील कोशिका होती है।3यह अगुणित या द्विगुणित हो सकता है।यह द्विगुणित होता है।4यह प्रत्यक्ष रूप से नए पौधों को जन्म देने के लिए अंकुरित होता है। यह एक भ्रूण में विकसित होता है जो आगे चलकर नए व्यष्टि के रूप में विभक्त हो जाता है। |
प्रश्न 14 युग्मकजनन एवं भ्रूणोद्भव के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
युग्मक जननभ्रूणोद्भव1यह अगुणित युग्मकों की पीढ़ी की प्रक्रिया है।यह भ्रूण के निर्माण की प्रक्रिया है।2इसमें अर्धसूत्रीविभाजन होता है।इसमें समसूत्रण विभाजन होता है।3नर युग्मक को चलनशील बनाने के लिए आगे परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है।विशेष उत्तकों तथा अंगों के निर्माण के लिए आगे चलकर कोशिका विभेदीकरण की आवश्यकता होती है। |
प्रश्न 15 एक पुष्प में निषेचन-पश्च परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- पुष्प में निषेचन-पश्च परिवर्तन (Post fertilization development in a flower)- पुष्पीय पौधों में दोहरा निषेचन तथा त्रिक संलयन (double fertilization and triple fusion) होता है। इसके फलस्वरूप भ्रूणकोष (embryo sac) में द्विगुणित युग्मनज (zygote) तथा त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक (primary endospermic nucleus) बनता है। इनसे क्रमशः भ्रूण (embryo) तथा भूणपोष (endosperm) बनता है। भ्रूणपोष विकासशील भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। इसके साथ-साथ बीजाण्ड में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं जिसके फलस्वरूप बीजाण्ड से बीज तथा अण्डाशय से फलावरण (pericap) का निर्माण होता है।
- बीजाण्डवृन्त- बीजवृन्त बनाता है।
- अध्यावरण- बीजावरण बनाता है।
- अण्डद्वार- बीजद्वार बनाता है।
- बीजाण्डकाय (nucellus)- प्रायः नष्ट हो जाता है, कभी-कभी भोजन संचित होने के कारण पेरिस्पर्म (perisperm) बनाता है।
- भ्रूणकोष (embryosac)-
- अण्ड कोशिका (egg cell)- भ्रूण (embryo) बनाती है।
- सहायक कोशिकाएँ (synergids)- नष्ट हो जाती हैं।
- प्रतिमुख कोशिकाएँ (antipodal cells)- नष्ट हो जाती हैं।
- ध्रुवीय केन्द्रक (polar nuclei)- भ्रूणपोष बनाता है।
- अण्डाशय की भित्ति- फलभित्ति बनाती है। बीज में भ्रूण सुप्तावस्था में रहता है। बीज चारों ओर से बाह्यकवच तथा अन्त: कवच (testa & tegmen) से बने अध्यावरण से घिरा होता है। भ्रूण बीजपत्रों के मध्य स्थित होता है। फलभित्ति की संरचना के आधार पर फल सरस अथवा शुष्क होते हैं।
प्रश्न 16 एक द्विलिंगी पुष्प क्या है? अपने आस-पास से पाँच द्विलिंगी पुष्पों को एकत्र कीजिए और अपने शिक्षक की सहायता से इनके सामान्य (स्थानीय) एवं वैज्ञानिक नाम पता कीजिए।
उत्तर- जब एक ही पुष्प में नर तथा मादा दोनों लिंग (पुंकेसर तथा स्त्रीकेसर) पाए जाते हैं, उसे द्विलिंगी पुष्प कहते हैं।
पुष्प के सामान्य (स्थानीय) एवं वैज्ञानिक नाम-
- गुलाब- रोजा हाइब्रिडा
- कुमुद- निम्फ़ेआ लोटस
- सूर्यमुखी- हेलियनथस एनस
- गुड़हल- हीबीस्कूस् रोज़ा साइनेन्सिस
- सरसों- ब्रेसिका नीग्रा
प्रश्न 17 किसी भी कुकुरबिट पादप के कुछ पुष्पों की जाँच कीजिए और पुंकेसरी व स्त्रीकेसरी पुष्पों को पहचानने की कोशिश कीजिए। क्या आप अन्य एकलिंगी पौधों के नाम जानते हैं?
उत्तर- कुकुरबिट पादप पुष्प एकलिंगी होते हैं। नर पुष्प में जायांग अनुपस्थित होता है। पुष्प में पाँच पुंकेसर होते हैं। ये प्राय: 2 + 2 + 1 के रूप में संयुक्त रहते हैं। इनके परागकोश व्यावृत (twisted) होते हैं।
मादा पुष्प में पुमंग (androecium) अनुपस्थित होता है। जायांग त्रिअण्डपी, युक्ताण्डपी, एककोष्ठीय तथा अधोवर्ती अण्डाशय से बना होता है। इसमें भित्तिलग्न बीजाण्डन्यास होता है। अण्डाशय से विकसित सरल सरस फल पेपो (pepo) कहलाता है।
अन्य एकलिंगी पौधे-
- मक्का- जिआ मेज (Zeq muys)
- खजूर- फीनिक्स सिल्वेस्ट्रिस (Phoenix sylvestris)
- पपीता- कैरिका पपाया (Carica papaya)
- नारियल- कोकोस न्यूसीफेरा (Cocos nucifera)
प्रश्न 18 अण्डप्रजक प्राणियों की सन्तानों का उत्तरजीवन (सरवाइवल) सजीवप्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर- अंडप्रजक प्राणियों की संतानों का उत्तर जीवन अधिक जोखिमयुक्त होता है क्योंकि वे मादा जनक के शरीर के बाहर विकसित होते हैं तथा विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों और शिकारियों के खतरे में रहते हैं। जबकि सजीव प्रजक प्राणियों की संतानें मादा शरीर के भीतर विकास करते हैं। इस प्रकार भ्रूणीय सही देखभाल तथा संरक्षण के कारण उनके उत्तर जीवित रहने के सुअवसर बढ़ जाते हैं।
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